तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विवि बनाने का विधेयक लोकसभा से पारित

भाजपा सांसद ने कहा कि संस्कृत प्रतिदिन पढ़ने से तंत्रिका तंत्र जहां सक्रिय रहा है वहीं ब्लड प्रेशर और शूगर का स्तर भी सामान्य बना रहता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 09:10 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 09:12 PM (IST)
तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विवि बनाने का विधेयक लोकसभा से पारित
तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विवि बनाने का विधेयक लोकसभा से पारित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने से जुड़ा विधेयक गुरुवार को लोकसभा से पारित हो गया है। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। जहां संभवत: यह शुक्रवार को पारित हो सकता है। वहीं लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, यह हमारे अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाली कड़ी है। साथ ही उन्होंने तमिल सहित दूसरी सभी भारतीय भाषाओं को भी सशक्त बनाने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है।

इस बीच संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विवि बनाने के विधेयक पर लोकसभा में करीब पांच घंटे चर्चा हुई। इस चर्चा में दक्षिण भारत के राज्यों से आने वाले सांसदों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साथ ही तमिल, असमी सहित स्थानीय भारतीय भाषाओं को भी मजबूत बनाने की जरुरत बताई। जिसका केंद्रीय मंत्री निशंक ने जबाव दिया। वहीं बीएसपी सांसद दानिश अली के सवाल का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने बीएसयू के संस्कृत विभाग से जुड़े शिक्षक फिरोज खान को लेकर सवाल पूछा था।

निशंक ने कहा कि फिरोज खान बीएचयू के संस्कृत विभाग में शिक्षक है, और इसी विभाग में वह आगे शिक्षण कार्य करते रहेंगे। इस बीच भाजपा सांसद गणेश सिंह ने चर्चा को उस समय रोचक बना दिया, जब उन्होंने अमेरिकी संस्थान में हुए शोध का हवाला देते हुए कहा कि संस्कृत प्रतिदिन पढ़ने से तंत्रिका तंत्र जहां सक्रिय रहा है, वहीं ब्लड प्रेशर और शूगर का स्तर भी सामान्य बना रहता है। फिलहाल जिन तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विवि बनाने का फैसला लिया गया है, उन्हें अभी डीम्ड विवि का दर्जा प्राप्त है। इन संस्थानों में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली का स्थापना 1970 में, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली की स्थापना 1962 में और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति की स्थापना 1961 में की गई थी।

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