जीवन में कम्युनिकेशन का बड़ा महत्व, ध्यान लगाकर सुनना पहला और सबसे जरूरी कदम

एक रिसर्च बताती है कि कारपोरेट वर्ल्ड में 60 फीसद प्राब्लम कम्युनिकेशन गैप की वजह से होती है। इसलिए अगर हम अपने कम्युनिकेशन पर ध्यान दें तो घर परिवार और कार्य क्षेत्र हर जगह सफलता पा सकते हैं।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:09 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:09 AM (IST)
जीवन में कम्युनिकेशन का बड़ा महत्व, ध्यान लगाकर सुनना पहला और सबसे जरूरी कदम
कारपोरेट वर्ल्ड में 60 फीसद प्राब्लम कम्युनिकेशन गैप की वजह से होती है।

[डॉ. अनिल सेठी] जीवन में कम्युनिकेशन का बड़ा महत्व है। रोजाना सुबह उठने से लेकर सोने तक हम किसी न किसी से बात करते हैं। इसी कम्युनिकेशन से हमारे करियर की राह तय होती है। यही हमारी सफलता या असफलता का कारण भी बनता है। यह बात मैं आपको एक उदाहरण द्वारा समझाना चाहता हूं। मेरे एक मित्र अपने विवाह के कुछ महीनों बाद मुझसे मिले और कुछ परेशान से लग रहे थे। जब मैंने पूछा तो कहने लगे कि आपकी भाभी (उनकी पत्नी) कुछ ऊंचा सुनती हैं, इसी बात से वह परेशान हैं। मैं उनको लेकर अपने पारिवारिक डाक्टर के पास गया। उनकी समस्या को सुनने के बाद डाक्टर ने पूछा कि कितनी दूर से उनको सुनाई नहीं देता है? मनीष ने कहा ऐसा तो कभी ध्यान नहीं दिया। डाक्टर ने कहा यह पूरी तरह से ठीक होने वाली समस्या है, लेकिन आप पहले मुझे बताएं कि कितनी दूर से उन्हें सुनाई देता है और कितनी दूर से नहीं।

मनीष ने कहा कि वह इसका अंदाजा लगाकर जल्दी वापस आएंगे और घर चले गये। मनीष घर जाते ही जोर से पत्नी को आवाज देकर बोले, जो उस समय किचन में खाना बना रही थीं, कि भागवान खाने में क्या बनाया है। जब थोड़ी देर तक जवाब सुनाई नहीं दिया, तो दो कदम आगे बढ़कर फिर से प्रश्न दोहराया, लेकिन जवाब नहीं मिला। फिर मनीष ने किचन के दरवाजे पर पहुंचकर जोर से प्रश्न दोहराया, तब गुस्से से भरी आवाज में पत्नी बोली-अरहर की दाल और आलू की सब्जी, सुनाई नहीं देता क्या चार बार बता चुकी हूं? इसका मतलब पत्नी तो हर बार जवाब दे रही थीं लेकिन मनीष को ही सुनाई नहीं दे रहा था। इसका मतलब डाक्टर की जरूरत पत्नी को नहीं, बल्कि स्वयं मनीष को ही थी।

इससे एक सीख मिलती है कि जब भी हमें किसी से कोई शिकायत हो, तो उसकी समीक्षा ठंडे दिमाग से करनी चाहिए और इसलिए कम्युनिकेशन में लिसनिंग (सुनना) एक बहुत जरूरी पहला कदम है। आप सोचिये, अगर भगवान चाहते कि हम लोग बोलें ज्यादा और सुनें कम, तो शायद दो मुंह और एक कान देते लेकिन ऐसा नहीं है। जब कम्युनिकेशन गैप होता है, तो हम पूरी सचाई जाने बिना अपने मन से कुछ भी सोच लेते हैं। एक रिसर्च बताती है कि कारपोरेट वर्ल्ड में 60 फीसद प्राब्लम कम्युनिकेशन गैप की वजह से होती है। इसलिए अगर हम अपने कम्युनिकेशन पर ध्यान दें तो घर परिवार और कार्य क्षेत्र, हर जगह सफलता पा सकते हैं। इसी पर एक बहुत पुरानी कहावत है-ऐसी बानी बोलिये मन का आप खोय, औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।

सीखें बोलने का सही ढंग

अक्सर हम आवेश में आकर कुछ भी बोल देते हैं। लेकिन शब्द जब तक हमारे मन के अंदर है, तब तक वह हमारे अधीन है और एक बार हमने बोल दिए तो हम अपने शब्दों के गुलाम हो जाते हैं। यह एक कटु सच्चाई है कि हम लोग जीवन में दो साल की उम्र तक बोलना सीख लेते हैं, लेकिन कई बार पूरे जीवन में यह नहीं सीख पाते कि बोलना क्या और कैसे है।

(मोटिवेटर एवं लाइफ कोच )

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