अपनी पुरानी दिनचर्या को आज से ही बदलें, तनाव कम करने के लिए इन बातों का रखे ध्यान
तनाव दो तरह के होते हैं। एक जो आपको परेशान कर दे आपको दिमागी और शारीरिक रूप से परेशान करे वह बुरा है। दूसरा तनाव अच्छा है जिसमें आप अपनी पर्सनल ग्रोथ को चुनते हुए जिम्मेदारी से आगे बढ़ते जाते हैं।
नई दिल्ली, प्रीति राव। जिंदगी कभी आपके अनुसार या आप जैसा सोचते हैं, वैसी नहीं होती। यह लगातार बदलती रहती है और हमें चौंका देती है। अब यह हमारे ऊपर है कि हम इसके अनुकूल खुद को कैसे ढालें और मुश्किल समय में भी व्यक्तिगत विकास के लिए संभावनाएं तलाशें। कोरोना संकट इस बात का बड़ा उदाहरण है। इस दौरान हमने देखा कि जब संकट सिर पर हो तो सबकी प्रतिक्रिया एक जैसी नहीं होती। कोई इसे आफत मानकर घुटने टेक देता है तो कोई सीमित अवसर और प्रतिकूल समय में भी नई राहों की तलाश कर लेता है।
तनाव तब होता है, जब आपको पता ही नहीं होता कि करना क्या है? आज ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो नौकरी, वित्तीय स्वतंत्रता, सेहत आदि को लेकर काफी तनाव में रहते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें देखना चाहिए कि आखिर वे कौन लोग हैं, जो ऐसी ही स्थिति में रहकर भी बाहर निकल आते हैं। हमारे हाथ की सभी अंगुलियां बराबर नहीं होतीं, वैसे ही लोगों की प्रतिकिया भी एक-सी नहीं होती। हमेशा याद रखें, तनाव यानी स्ट्रेस दरअसल हमारा नजरिया है। इसे आप सड़क पर ट्रैफिक के दौरान कुछ दुर्घटनाओं के बीच लोगों की प्रतिक्रिया से समझ सकते हैं। उस दौरान कुछ लोग गाड़ी से निकलकर बीच सड़क पर लड़ने को उतारू हो जाते हैं तो कुछ इसे अनदेखा कर आगे निकल जाते हैं। स्ट्रेस यानी तनाव तो दोनों को है, पर उस पर प्रतिक्रिया करने का उनका तरीका अलग है। जो तनाव आपको परेशान कर दे, आपको दिमागी और शारीरिक रूप से परेशान करे, वह बुरा है। वह तनाव अच्छा है, जिसमें आप अपनी पर्सनल ग्रोथ को चुनते हुए जिम्मेदारी से आगे बढ़ते जाते हैं।
क्या करना चाहिए
- स्प्रिचुअलिटी यानी आध्यात्मिकता को समझें। यह सिर्फ पूजा-पाठ करना नहीं, बल्कि खुद को समझने और अपने मकसद को पहचानने से जुड़ी चीज है। हमें क्या करना चाहिए, क्या नहीं, किस चीज से खुशी मिलती है आदि बातों को जानना है।
- यदि अधिकतर लोगों की तरह आप भी खुद का खयाल नहीं रखते, मात्र अपनी पुरानी दिनचर्या को ढो रहे हैं, जिसमें जरा भी खुद के लिए जगह नहीं है तो उसे आज से ही बदलें।
- ब्रीदिंग, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस आपको तनाव से निकलने में मदद करेगा। इन उपायों को नियमित अपनी दिनचर्या में शामिल करें, तभी आप समझ पाएंगे कि तनाव हमेशा बुरा नहीं, बल्कि यह तो बस एक नजरिया है जो आपको या तो परेशान करता है अथवा कुछ नया करने अथवा अच्छा करने की भरपूर प्रेरणा देता है।
सकारात्मकता के साथ बढ़ें आगे
- जब हमें अपने किसी काम में कामयाबी नहीं मिलती या सोचा हुआ काम नहीं होता, तो कुछ पल के लिए नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है। ऐसा अमूमन हर किसी के साथ होता है। आपके साथ भी जब कभी ऐसा हो, तो निराशा और नकारात्मक विचार को खुद पर हावी न होने दें। असफलता के कारणों को खोजकर उन्हें दूर करें और सकारात्मक सोच के साथ नये सिरे से प्रयास करें।
- प्रतिकूल परिस्थितियों से पीछा छुड़ाने की सोचने के बजाय दृढ़ता के साथ उनका मुकाबला करें। इसके लिए खुद को मजबूत बनाएं।
- बड़े सपने देखने के बजाय छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें। उन्हें पाने के लिए खुद को सक्षम बनाएं। अपने लक्ष्यों के बारे में बढ़-चढ़कर दूसरों को बताने के बजाय चुपचाप उन पर काम करें, ताकि धीरे-धीरे कामयाबी की ओर अग्रसर हो सकें।
- खुद को प्रेरित रखने के लिए महापुरुषों की जीवनी और और विचार नियमित रूप से पढ़ने रहने की आदत डालें। दूसरों की अच्छाइयों से सीखें।