जब नकारात्मक विचार हावी होने लगे, जरूरी है आपके लिए ये अभ्यास

जब संकल्प-शक्ति कमजोर पड़ने लगे तो ऐसे पलों में जरूरत है आप तुरंत मन की बागडोर थाम लें। भावनात्मक बुद्धि की मदद से आप भी परिस्थिति को खुद पर हावी होने देने से बचा सकते हैं।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 09:34 AM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 09:34 AM (IST)
जब नकारात्मक विचार हावी होने लगे, जरूरी है आपके लिए ये अभ्यास
जब नकारात्मक विचार हावी होने लगे, जरूरी है आपके लिए ये अभ्यास

नई दिल्ली, सीमा झा। जिंदगी हमेशा एक-सी नहीं रहती। कभी आपको लगता है कि चीजें इतनी भी मुश्किल नहीं, तो कभी उसी मन की स्थिति इस मनोदशा के विपरीत होती है। आप अपने ही विचारों के वश में आकर इस कदर भावुक होने लगते हैं कि खुद पर संशय होने लगता है। तमाम जानकारियां और सूचनाएं होने के बावजूद उनके सदुपयोग में आप असमर्थ होते हैं। यह नहीं समझ पाते कि अचानक किसी पल में इतना क्रोध या आवेग कहां से आ गया। यह भी हो सकता है कि आप खुद की तुलना उन व्यक्तियों से करने लग जाएं, जो मुश्किल परिस्थति में भी अपना आपा बनाए रखते हैं और उस क्षण का बेहतरीन प्रबंधन कर पाते हैं यानी आप जहां आवेग का प्रदर्शन करते हैं, वहीं उसी परिस्थिति में दूसरा व्यक्ति शांत और संयमित व्यवहार करता है।

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डेनियन गोलमैन के अनुसार, दरअसल, यह भावनात्मक बुद्धि है, जो किसी भी इंसान को ऊंचाई पर पहुंचा सकती है। ऐसा इंसान कभी क्रोध या खुशी के अधीन होकर अनुचित कदम नहीं उठाता, क्योंकि उसका अपनी भावनाओं या स्वयं पर जबरदस्त नियंत्रण होता है। दरअसल, भावनात्मक बुद्धि इंसान की वह क्षमता है जिसकी मदद से वह अपनी भावनाओं का आकलन कर सकता है और परिस्थिति को खुद पर हावी होने देने से बचा पाता है। भावनात्मक बुद्धि अच्छी और मजबूत है तो व्यक्ति के आपसी रिश्ते शानदार होते हैं क्योंकि वे दूसरों की भावनाओं और संवेदनाओं को समझते हैं। साथ ही, उनके प्रति संवेदनशील भी होते हैं। केवल परिवार या समाज में ही नहीं, ऐसे व्यक्ति कार्यक्षेत्र में भी तुलनात्मक रूप से अधिक योग्य माने जाते हैं। इसलिए नौकरियों के लिए आयोजित होने वाले साक्षात्कार में व्यक्ति की भावनात्मक बुद्धि का परीक्षण भी किया जाता है।

इस आपदा काल में खुद को ही नहीं, समाज को भी आपकी जरूरत है। इसके योग्य आप तभी होंगे, जब स्वयं पर नियंत्रण रखने की शक्ति विकसित कर सकेंगे। क्यों न इसका अभ्यास आज से ही शुरू कर दें।

जरूरी हैं ये अभ्यास

- याद रखें भावनाओं का निर्माण विचारों से होता है। इसलिए नजर रखें कि आपके विचार स्वकेंद्रित तो नहीं। विचार श्रेष्ठ होंगे तभी वे लोकोपकारी होंगे और आपकी भावनाएं संतुलित और संयमित।

- ध्यान की मुद्रा में शांत बैठ जाएं। जो कुछ घटा है उसे अपने भीतर महसूस करें। मन की सभी प्रतिक्रियाओं को तटस्थ भाव से देखें।

- मन में जो कुछ नकारात्मक विचार आते हों, आपको उन्हें अपने पर हावी नहीं होने देना है। उन्हें बस नोटिस करना है।

-आपको कैसा व्यहवार करना है या करना चाहिए, यह समझ गए तो इसका अभ्यास आज से ही शुरू कर दें।

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