जानें कृषि विधेयकों के प्रावधानों के बारे में, इससे होने वाले किसानों को लाभ और विरोध के कारण

Agriculture Reforms Bill 2020 ऐसी व्यवस्था बनाना जहां किसान व व्यापारी राज्यों में स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति से बाहर उत्पादों की खरीद-बिक्री कर सकें।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:34 AM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 01:30 PM (IST)
जानें कृषि विधेयकों के प्रावधानों के बारे में, इससे होने वाले किसानों को लाभ और विरोध के कारण
जानें कृषि विधेयकों के प्रावधानों के बारे में, इससे होने वाले किसानों को लाभ और विरोध के कारण

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Agriculture Reforms Bill 2020 केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया है, जिसके लिए कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी सिलसिले में विगत दिनों लोकसभा से तीन विधेयक पारित किए गए। हालांकि, विपक्ष इन विधेयकों का विरोध कर रहा है। आइए जानते हैं विधेयकों के प्रावाधान, इससे किसानों को होने वाले लाभ व विरोध के कारणों को..

कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य विधेयक-2020

अहम प्रावधान

ऐसी व्यवस्था बनाना जहां किसान व व्यापारी राज्यों में स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति से बाहर उत्पादों की खरीद-बिक्री कर सकें। राज्य के भीतर तथा राज्य के बाहर किसानों के उत्पादों के निर्बाध व्यापार को बढ़ावा देना। व्यापार व परिवहन लागत को कम करके किसानों को उनके उत्पादों का अधिक मूल्य दिलवाना। ई-ट्रेडिंग के लिए सुविधाजनक तंत्र विकसित करना।

विरोध की वजह किसान अगर पंजीकृत कृषि उत्पाद बाजार समिति के बाहर अपने उत्पाद बेचने लगे तो मंडियां शुल्क नहीं ले पाएंगी। इससे राज्यों को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा। मंडियों के बाहर अगर कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री शुरू होगी तो राज्यों में स्थित ‘कमीशन एजेंट’ बेरोजगार हो जाएंगे। इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद प्रणाली खत्म हो जाएगी। ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का कारोबार मंडियों पर आधारित है। कारोबार के अभाव में जब मंडियां बर्बाद हो जाएंगी तो ई-नाम का क्या होगा।

किसानों को लाभ

किसान अपने उत्पादों को बेचने के लिए मंडी के व्यापारियों तक ही सीमित नहीं होगा। इससे कृषि उत्पादों को अच्छी कीमत मिल सकेगी। मंडियों के अलावा फार्मगेट, कोल्ड स्टोर, वेयरहाउस व प्रसंस्करण यूनिटों के पास भी व्यापार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे। मंडियों व किसानों के बीच में आने वाले बिचौलिए किसानों के हक पर चोट करते हैं। नई व्यवस्था में बिचौलियों की गुंजाइश नहीं रहेगी। देश में प्रतिस्पर्धी डिजिटल व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसमें पारदर्शिता ज्यादा होगी। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा व उनकी आय में वृद्धि होगी।

मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा विधेयक-2020

अहम प्रावधान किसानों को कृषि कारोबार करने वाली कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों व संगठित खुदरा विक्रेताओं से सीधे जोड़ना। कृषि उत्पादों का पूर्व में ही दाम तय करके व्यापारियों से करार की सुविधा प्रदान करना। पांच हेक्टेयर से कम भूमि वाले सीमांत व छोटे किसानों को समूह व अनुबंधित कृषि का लाभ देना। देश के 86 फीसद किसानों के पास पांच हेक्टेयर से कम जमीन है। बाजार की अनिश्चितता के खतरे का नुकसान किसानों की बजाय प्रायोजकों पर निर्धारित करना। अधिक उत्पादन के लिए किसानों तक आधुनिक प्रौद्योगिकी पहुंचाना। विपणन की लागत को कम करके किसानों की आय को बढ़ाना। बिचौलियों की बाधा को दूर करना। 30 दिनों के भीतर विवादों के निपटारे की व्यवस्था करना।

विरोध की वजह अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा। वे अपनी जरूरत के अनुरूप मोलभाव नहीं कर पाएंगे। प्रायोजक शायद छोटे व सीमांत किसानों की बड़ी संख्या को देखते हुए उनसे परहेज करें। क्योंकि, इन किसानों के लिए उन्हें बड़ा तंत्र विकसित करना पड़ सकता है। बड़ी कंपनियां, निर्यातक, थोक विक्रेता व प्रसंस्करण इकाइयां विवाद का लाभ लेना चाहेंगी। इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ सकता है। नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को ही होगा।

किसानों को लाभ कृषि क्षेत्र में शोध व विकास (आर एंड डी) कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलेगा। अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूíत हो सकेगी। अनुबंधित किसानों को उत्पाद बेचने के लिए मंडियों या व्यापारियों के चक्कर नहीं लगाने होंगे किसान को नियमित और समय पर भुगतान मिल सकेगा। इसका लाभ 86 फीसद सीमांत व छोटे किसानों को मिलेगा। खेत में ही उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। कृषि उत्पाद की गुणवत्ता सुधरेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020

अहम प्रावधान अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज व आलू आदि को आवश्यक वस्तु की सूची से हटाना। युद्ध जैसी अपवाद स्थितियों को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी। इस प्रावधान से कृषि क्षेत्र में निजी व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि उन्हें कारोबार में नियामकों के बेवजह हस्तक्षेप का डर नहीं रहेगा। कीमतों में स्थिरता आएगी। प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा और कृषि उत्पाद का नुकसान कम होगा। कोल्ड स्टोर व खद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला के आधुनिकीकरण में निवेश को प्रोत्साहन।

विरोध की वजह असामान्य परिस्थितियों के लिए तय की गई कीमत की सीमा इतनी अधिक होगी कि उसे वहन करना आम लोगों के वश में नहीं होगा। बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेंगी। इसका मतलब है कि कंपनियां किसानों पर शर्ते थोपेंगी, जिससे उत्पादकों को कम कीमत मिलेगी। हाल ही में प्याज के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा की गई है, लेकिन इससे अनुपालन को लेकर संशय है।

किसानों को लाभ जब सब्जियों की कीमत दोगुनी हो जाएगी या खराब न होने वाले अनाज का मूल्य 50 फीसद बढ़ जाएगा तो सरकार भंडारण की सीमा तय कर देगी। युद्ध व आपदा जैसी स्थितियों में उत्पादों की कीमतों का नियंत्रण सरकार के हाथों में होगा। इस प्रकार किसान व खरीदार दोनों को फायदा होगा। कोल्ड स्टोर व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि वे अपनी क्षमता के अनुरूप उत्पादों का भंडारण कर सकेंगे। इससे किसानों की फसल बर्बाद नहीं होगी और उन्हें समुचित कीमत मिलेगी। फसलों को लेकर किसानों की अनिश्चितता खत्म हो जाएगी। व्यापारी आलू व प्याज जैसी फसलों की भी ज्यादा खरीद करके उनका कोल्ड स्टोर में भंडारण कर सकेंगे। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को लाभ मिलेगा।

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