Labour Day 2021: फिर आया 'मजदूर दिवस', पिछले साल सुर्खियों में छाए थे प्रवासी मजदूर

Labour Day 1 May 2021 भारत में 1 मई 1923 को पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया था जब हिंदुस्तान के लेबर किसान पार्टी और भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने समारोह का आयोजन किया था।

By Monika MinalEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 09:07 AM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 09:07 AM (IST)
Labour Day 2021: फिर आया 'मजदूर दिवस', पिछले साल सुर्खियों में छाए थे प्रवासी मजदूर
पिछले साल सुर्खियों में छाए थे प्रवासी मजदूर

नई दिल्ली, जेएनएन। महामारी के चपेट में आए वैसे तो देश का हर कुनबा परेशान है लेकिन यदि किसी की रोजी-रोटी पर बनी है तो वह हैं 'मजदूर समुदाय'। पिछले साल लॉकडाउन के बाद इन्हीं मजदूरों की तस्वीर दुनिया भर में वायरल हुई थी और ये सुर्खियों में छाए रहे। कोरोना संक्रमण का प्रसार एक ओर जहां सरकार की पेशानी पर बल डाल रहा है वहीं राहत की खबर यह है कि कुछ देश इससे निपटने में कामयाब हुए हैं।   

मजदूरों को आर्थिक सहायता

सरकार की ओर से समय समय पर इन मजदूरों के लिए योजनाओं की शुरुआत भी की जाती है। इस क्रम में दिल्ली सरकार ने निर्माण मजदूरों के अकाउंट में 5000 रुपये ट्रांसफर किए और उन सभी मजदूरों और उनके परिवारों को 5 से 10,000 रुपये अकाउंट में ट्रांसफर किए जाएंगे जो संक्रमण के चपेट में आए हों। दिल्ली सरकार इन सभी की RT-PCR रिपोर्ट की जांच पड़ताल आईसीएमआर (ICMR) पोर्टल पर करेगी।

आयुष्मान भारत योजना से जोड़े जाएंगे मजदूर

वहीं बिहार के श्रमिकों के लिए भी अच्छी खबर है। अब उन्हें बीमार होने की स्थिति में इलाज के पैसों के लिए परेशान नहीं होना होगा। श्रम संसाधन विभाग में निबंधित श्रमिकों को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है। तब उनके इलाज पर होने वाला पांच लाख तक का खर्च इस योजना से आच्छादित  होगा। एक मई यानी मजदूर दिवस पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका एलान कर सकते हैं।

उद्योगों की सफलता का स्तंभ हैं मजदूर

मेहनतकश मजदूरों को समर्पित 1 मई की तारीख समारोह के तौर पर पूरी दुनिया में मनाई जाती है। इस मौके का मुख्य मकसद दुनिया भर के श्रमिकों व मजदूरों के अहम और उल्लेखनीय योगदान को याद करना है। 1 मई या मई दिवस के नाम से इस दिन को जाना जाता है जिसे क्यूबा, भारत, चीन समेत तमाम देश मनाते हैं। देश में मनाई जाती है। दरअसल किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। किसी भी उद्योग को सफल बनाने के लिए उसके मालिक का होना तो अहम है ही मजदूरों के अस्तित्व को भी नहीं नकारा जा सकता है क्योंकि कामगार ही किसी भी औद्योगिक ढांचा के लिए संबल की भूमिका निभाते हैं। 

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