जानिए पनडुब्बियों पर हमले में उस्ताद मानी जाने वाली MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टर की खासियतें

रोमियो सी हॉक हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाने के बाद मजबूती और बढ़ जाएगी। इन हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बियों को निशाना बनाना आसान हो जाएगा।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 04:30 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 04:30 PM (IST)
जानिए पनडुब्बियों पर हमले में उस्ताद मानी जाने वाली MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टर की खासियतें
जानिए पनडुब्बियों पर हमले में उस्ताद मानी जाने वाली MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टर की खासियतें

नई दिल्ली। अमेरिेकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा कई मायनों में खास होगा। डोनाल्ड ट्रंप अपने दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं। ये माना जा रहा है कि उनके दौरे के दौरान एक बड़ी डिफेंस डील भी फाइनल हो सकती है। इस डील में भारतीय नौसेना को अमेरिका में बने MH-60 रोमिया मल्टीरोड हेलीकॉप्टर को खरीदने की मंजूरी मिल सकती है। भारत अमेरिका से इस तरह से 24 हेलीकॉप्टर्स को खरीदना चाहता है, इनकी कीमत लगभग 1.86 खरब रूपए बताई जा रही है। हम आपको इस खबर के माध्यम से इन हेलीकॉप्टरों की खूबियों के बारे में बता रहे हैं।

क्यों खरीदा जा रहा MH-60 रोमियो सी हॉक 

सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर भारत अमेरिका से ये हेलीकॉप्टर आखिर क्यूं खरीदना चाहता है। इन विमानों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये एंटी-सबमरीन यानि पनडुब्बियों पर हमले में उस्ताद मानी जाती हैं। इसे अमेरिकी डिफेंस कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने तैयार किया है। ये माना जाता है कि चौथी जेनरेशन का यह हेलीकॉप्टर आज की तारीख में पूरी दुनिया में नौसेना में काम आने वाला सबसे एडवांस हेलीकॉप्टर है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इन हेलीकॉप्टरों के मिल जाने के बाद सेना और मजबूत हो जाएगी।

दरअसल भारतीय नौसेना कहीं और से खरीदती है और दूसरी जगह से। अक्सर ऐसा भी होता है कि नौसेना को जहाज मिल जाते हैं लेकिन हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी नहीं हो पाती। इन्हीं वजहों से अब इंडियन नेवी को MH-60R की जरूरत महसूस हो रही है।

भारत को कब मिल पाएंगे MH-60R 

अगर भारत की अमेरिया से ये डील फाइनल हो जाती है तो भी ये सभी 24 हेलीकॉप्टर मिलने में लगभग 5 साल का वक्त लग सकता है। वैसे इन हेलीकॉप्टरों का पहला बैच 2022 में मिलने की संभावना है। वहीं अगर अमरीकी नौसेना को ध्यान में रखकर बनाए गए हेलीकॉप्टर का अधिग्रहण किया गया, तो यह समय और भी कम भी हो सकता है।

MH-60R में खासियतें 

MH-60R बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन की वेबसाइट पर इस हेलीकॉप्टर की बारीकियां और उसकी खूबियां बताई गई हैं। कंपनी के मुताबिक यह मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर है जो हर मौसम में, दिन के किसी भी वक्त हमला करने में सक्षम है। इसकी दो सबसे बड़ी खासियां हैं। छिपी हुई पनडुब्बियों पर हमला करना और एयर टू सरफेस यानि हवा से जमीन पर हमला करना। इसके अलावा इसमें एंटी-सबमरीन मार्क 54 टारपीडो दिया गया है जो पानी में छिपी पनडुब्बियों को निशाना बनाता है। वहीं हेलफायर एयर टू सरफेस मिसाइल जहाजों को निशाना बनाती है।

इसका मतलब ये है कि दुश्मन चाहे समुद्र की सतह पर हो या पानी के अंदर, यह हेलिकॉप्टर उसे खत्म कर सकता है। वैसे रूस और फ्रांस जैसे कई देशों ने नौसेना को ध्यान में रखते हुए हेलीकॉप्टर बनाए हैं लेकिन इस मामले में अमेरिका सबसे आगे है। इसकी एक वजह अमेरिका में शिप बेस्ट हेलीकॉप्टर विकसित करने की परंपरा होना भी है। दरअसल MH-60R कॉम्पैक्ट हो सकते हैं इसलिए ये कम जगह लेते हैं। इनका कॉकपिट सबसे एडवांस तकनीक से बना है। हमला करने के अलावा ये सैनिकों को लाने-ले जाने में भी सक्षम हैं। इसमें फ्यूल टैंक से लेकर सैटेलाइट से मिलने वाले इनपुट तक सारी चीजें इंटरकनेक्टेड हैं।

अभी कौन से हेलिकॉप्टर हो रहे इस्तेमाल 

MH-60R खरीदने का प्रस्ताव खुद भारतीय नौसेना ने पेश किया था। साल 2003 से भारतीय नौसेना ब्रिटेन से खरीदे गए Sea King Mk.42B का इस्तेमाल कर रही है, जो काफी पुराने हो चुके हैं। नौसेना इन्हें रिटायर करना चाहती है।

अमेरिका से ही क्यों खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर? 

विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि कोई भी देश सुरक्षा संबंधी कोई भी डील अपने रणनीतिक साझेदार के साथ करना बेहतर समझता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि दोनों देशों के हित और नुकसान एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। भारत का यह फैसला भी रणनीतिक ही है। उदाहरण के तौर पर, भारत और अमेरिका दोनों ही चीन के प्रभाव को रोकना चाहते हैं ऐसे में इस डील से दोनों ही देशों के हित सधेंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस डील का एक और फायदा यह भी है कि जब कोई अमेरिकी उत्पाद भारत की सीमाओं के पास तैनात होगा, तो जरूरत पड़ने पर अमेरिकी भी उसका आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। अमेरिका का मकसद चीन को साउथ चाइन सी में रोकना है।  

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