सत्‍यजीत रॉय ने बेहद खूबसूरती से गढ़ा था 'फेलू दा' का किरदार, मिनटों में सुलझा देते थे जटिल गुत्थियां

सत्‍यजीत रॉय ने अपने जासूसी किरदार फेलू दा को शरलॉक होम्‍स और ब्‍योमकेश बख्‍शी से प्रेरित होकर बनाया था। इस किरदार में गुत्‍थी सुलझाने का दिमाग शरलॉक की तरह था तो अन्‍य चीजों में वो ब्‍योमकेश सरीखे थे।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 10:55 AM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 10:55 AM (IST)
सत्‍यजीत रॉय ने बेहद खूबसूरती से गढ़ा था 'फेलू दा' का किरदार, मिनटों में सुलझा देते थे जटिल गुत्थियां
सत्‍यजीत रॉय के दिमाग की उपज थी फेलूदा का किरदार।

कोलकाता (राज्य ब्यूरो)। टाटा समूह ने एक नई कोविड-19 टेस्‍ट किट तैयार की है, जिसके जरिए महज दो घंटे में कोविड-19 का पता लगाया जा सकेगा। इस नई किट का नाम 'फेलू दा' रखा गया है जो महान फिल्मकार सत्‍यजीत रॉय के काल्‍पनिक बंगाली जासूसी उपन्‍यास के एक काल्पनिक चरित्र से प्रेरित है। दरअसल जो काम बड़े-बड़े जासूस घंटों में करते हैं, वो काम मिनटों में 'फेलू दा' कर देते हैं। इसी लिहाज से किट का नाम 'फेलू दा' रखा गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भी इस किट के इस्‍तेमाल की मंजूरी दे दी है।

वर्ष 1965 में अस्तित्व में आए ' फेलू दा'

फिल्म निर्माता-निर्देशक तथा सत्‍यजीत रॉय के पुत्र संदीप रॉय के मुताबिक 'फेलू दा' पहली बार 1965 में बच्चों की एक बंगाली पत्रिका संदेश में सामने आए थे। इस पत्रिका में सत्यजीत रॉय ने एक जासूसी कहानी लिखी, जिसमें जासूस को नाम दिया 'फेलू दा'। ये दुनिया के बाकी जासूसों की तरह बिल्कुल नहीं दिखता था। न कोई हैट, न कोई स्टाइल का टशन। सिर्फ लॉजिक की बात और गंभीर व्‍यक्तित्‍व। यही है बंगाली शरलॉक होम्स 'फेलू दा' के किरदार की खास बात। असल में 'फेलू दा' का किरदार सत्यजीत रॉय ने ब्योमकेश बक्शी और शरलॉक होम्स को मिलाजुला कर रचा था।' फेलू दा' ब्योमकेश बक्शी की तरह साधारण सा दिखने वाला शख्स है, लेकिन शरलॉक होम्स की तरह उसके पास हर बारीक डिटेल्स के लिए पैनी नजर भी है। इस किरदार को लेकर लोगों का इंटरेस्ट इतना बढ़ा कि कहानी को नॉवेल की शक्ल में उतारा गया।

सिनेमा और टीवी पर आज भी बरकरार है 'फेलू दा' का जलवा

इस किरदार को सत्यजीत रॉय ने बहुत ही तफ्सील से गढ़ा। 'फेलू दा' की हाइट 6 फुट और उनका पता ‘ 21 रजनी सेन रोड, बालीगंज, कोलकाता’ आज भी उनके फैंस की जुबान पर है । उनके डायलॉग और धोती कुर्ते का स्टाइल भी बहुत पॉपुलर हुआ। सत्यजीत रॉय ने 1974 में 'फेलू दा' के जासूसी किरदार को लेकर सोनार केला नाम की फिल्म बनाई। उसके बाद 'फेलू दा' की फिल्मों का सिलसिला चल पड़ा। 1979 में जय बाबा फेलूनाथ आई। ये दोनों ही फिल्में कालजयी बंगाली फिल्में मानी जाती हैं। लोगों को तो अब टीवी सीरीज का चस्का लगा है, लेकिन 'फेलू दा' की टीवी सीरीज देश की सबसे पॉपुलर टीवी सीरीज में से एक रही है। 'फेलू दा' का किस्सा यहीं खत्म नहीं होता। उन पर कॉमिक्स लिखी गईं। रेडियो पर उनके नाम से सीरीज चली। फेलूदा गान नाम से गाने बने । इतना ही नहीं, 2019 में ' फेलू दा' पर बनी एक डॉक्युमेंट्री भी रिलीज हुई। इसे न्यूयॉर्क फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया और भारत में इसे नॉन फीचर फिल्म कैटेगिरी में बेस्ट डायरेक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला।

कई चर्चित कलाकारों ने निभाया किरदार

वैसे तो 'फेलू दा' का किरदार परदे पर कई चर्चित कलाकारों सौमित्र चटर्जी, अहमद रुबेल, शशि कपूर, सब्यसाची चक्रवर्ती, अबीर चैटर्जी और तोता रॉय चक्रवर्ती ने बखूबी निभाया है। लेकिन उनके फैंस के बीच सौमित्र चटर्जी और सब्यसाची चक्रवर्ती ने गहरी छाप छोड़ी । ये दोनों ही ' फेलू दा' के किरदार के सबसे ज्यादा करीब नजर आए ।

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