पीएम के इस महत्वपूर्ण योजना का आपके जीवन पर क्या असर पड़ेगा, जानिए- सब कुछ
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) की शुरुआत हो चुकी है। अब गरीबों और वंचित तबकों का इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) की शुरुआत हो चुकी है। अब गरीबों और वंचित तबकों का इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा। अब तक एक बड़ा तबका महंगी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कष्टकारी जीवन जीने को अभिशप्त था। तभी तो दुनिया की इस सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे असली दरिद्र नारायण की सेवा बताया है।
ताकि नहीं पड़े राज्यों पर बोझ
आर्थिक बोझ बांटने के लिए सरकार ने ज्यादातर राज्यों के साथ 60:40 फीसद हिस्सेदारी की है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए भी खास व्यवस्था है। हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर, उत्तराखंड और जम्मू व कश्मीर में केंद्र सरकार और राज्यों के बीच 90 :10 फीसद की हिस्सेदारी होगी। वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में इलाज का खर्च सरकार 100 फीसद वहन करेगी। साथ ही सरकार की ये योजना राज्यों की अपनी स्वास्थ्य आशीष झा ’ योजनाओं को नहीं रोकती है।
खर्चीले निजी इलाज का जवाब
पिछले एक दशक में अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने के खर्च में 300 फीसद वृद्धि हुई है। इलाज के लिए मरीज अपनी जेब से 80 फीसद भुगतान
करते हैं। लोगों को इस खर्च के बोझ से बचाने के लिए इस स्कीम को सरकार ने शुरू किया है।
गरीबी न बने बाधा
सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में 8.03 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 2.33 करोड़ गरीब, वंचित, पिछड़े और शहरी पेशेवरों को इसमें शामिल किया गया है।
इलाज के कर्ज से मुक्ति
सीजीएचएस की तुलना में यहां 15 से 20 फीसद सस्ता इलाज उपलब्ध होगा। योजना में सूचीबद्ध निजी या सरकारी अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में परिवार को कोई पैसा नहीं चुकाना होगा।
खास-खास
परिवार के आकार और उसमें सदस्यों की संख्या और उम्र सीमा की कोई बाध्यता नहीं है।
सभी लेन-देन कैशलेस होगा।
लाभार्थी को इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा।
पहचान साबित करने के लिए राशन कार्ड या वोटर कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
यह योजना पूरी तरह से पेपरलेस व आइटी आधारित है।
इसमें निजी बीमा कंपनियां, ट्रस्ट व सोसायटियां और मिश्रित मॉडल बीमा को शामिल किया गया है।
इसे देश और राज्य की स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा लागू किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थी भी इस स्कीम में फायदा ले सकेंगे।
आप भी होंगे लाभार्थी
आपको और आपके परिवार को इस योजना में लाभ मिलेगा या नहीं, आप खुद जान सकते हैं। सरकार ने इसके लिए तीन विकल्प दिए हैं।
पहला विकल्प : इस योजना के लिए सरकार ने एमईआरए.पीएमजेएवाई. जीओवी.इन नामक वेबसाइट लांच की है। इस वेबसाइट पर आपको पीएम जन आरोग्य योजना बॉक्स दिखेगा जहां आपको अपना मोबाइल नंबर डालना होगा। अब आपके नंबर पर एक ओटीपी आएगा और उस ओटीपी को डालने पर आपको पता चल जाएगा कि आप इस स्कीम के लाभार्थी हैं या नहीं।
दूसरा विकल्प : दूरदराज क्षेत्रों में इंटरनेट का विकल्प न होने की वजह से सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 14555 जारी किया है। इस पर कॉल करने के बाद अपने बारे में जानकारी देनी होगी जिसके बाद आपको बता दिया जाएगा कि आप इस योजना में फायदा ले सकेंगे या नहीं।
तीसरा विकल्प : योजना में शामिल अस्पतालों में आरोग्य मित्र हेल्प डेस्क होगी। यहां आपसे आधार, राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज से पहचान साबित होने के बाद लाभार्थी सूची में नाम देखा जाएगा। नाम होने पर आपको ई-कार्ड दे दिया जाएगा।
परदेस में क्या है व्यवस्था
दक्षिण अफ्रीका: यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली देश की ज्यादातर आबादी को सुविधाएं देती है। हालांकि निजी क्षेत्र की तुलना में ये धन और कर्मचारियों के अभाव से जूझ रही है।
हांगकांग: अस्पताल प्राधिकरण एक संवैधानिक निकाय है जो सार्वजनिक अस्पतालों का संचालन और प्रबंधन करता है। प्रारंभिक स्वास्थ्य शिक्षा, पेशेवर स्वास्थ्य सेवाएं, और पूरी तरह विकसित स्वास्थ्य देखभाल और दवा प्रणाली है। यहां मेडिकल प्रैक्टिस के ऊंचे मानदंड हैं।
फ्रांस: यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा प्रणाली के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जाती है। इसमें राज्य सरकार द्वारा सभी स्वास्थ्य सेवाओं का भुगतान नहीं किया जाता है। सामान्य चिकित्सा में 70 फीसद और दवाओं में 35 से 100 फीसद तक बीमा से कवर किया जाता है।
अमेरिका: अफोर्डेबल केयर एक्ट 2010 में अमेरिका की 98 फीसद आबादी के पास स्वास्थ्य बीमा सुविधा है। इसके तहत अमेरिका की सरकार द्वारा निर्धारित गरीबी के स्तर से चार गुना अधिक आय वालों को भी स्वास्थ्य सुविधाओं में सब्सिडी मिलती है।
ब्रिटेन: सभी स्थायी नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होती है। 16 साल से कम उम्र और पिछड़ों का इलाज मुफ्त होता है। अन्य लोगों को इलाज के बाद सामान्य टैक्स के रूप में पैसे चुकाने होते हैं। इस सुविधा में कुछ बदलाव हुए हैं जिसके बाद दवा और दांत के इलाज में पैसे चुकाने होते हैं।
किसे मिलेगा फायदा
सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े और वंचित स्तर के लोगों की पहचान के लिए मानदंड तय किए गए हैं। लाभार्थियों को छह वंचित श्रेणियों (डी1, डी2, डी3, डी4, डी5 और डी7) में बांटा गया है। वहीं शहरी क्षेत्रों के लिए पेशेवरों की 11 श्रेणियां बनाई गई हैं।
बढ़ता दायरा
15,686 अस्पतालों ने इस योजना के लिए अस्पतालों के पैनल में शामिल होने के लिए आवेदन किए हैं। वहीं 8,735 निजी और सरकारी अस्पताल इसके पैनल में शामिल हो चुके हैं।
योजना से वंचित राज्य
अभी देश के 30 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में यह योजना अगले दो से तीन महीनों में लागू होने जा रही है। तेलंगाना, ओडिशा, दिल्ली, केरल और पंजाब जैसे कुछ राज्यों ने अभी इसे नहीं अपनाया है।
60 लाख : नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक स्वास्थ्य खर्च के चलते हर साल गरीबी में धकेले जा रहे परिवारों की संख्या इन बीमारियों का कवर स्कीम के तहत 25 विशेष श्रेणी में 1,354 मेडिकल और सर्जिकल पैकेज मौजूद हैं जो कैंसर के इलाज, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, हृदय से जुड़ी दिक्कतें, स्टेंट डालने, दिमागी ऑपरेशन, दांतों का ऑपरेशन, आंखों का ऑपरेशन, एमआरआइ, सीटी स्कैन जैसे विशेष टेस्ट को कवर करते हैं।