जानें कौन हैं - तीन दिन तक समुद्र में फंसे नौसेना कमांडर, कैसे हुआ रेस्क्यू

नौसेना में पायलट कमांडर अभिलाष ‘गोल्डन ग्लोब रेस-2018’ में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 2013 में समुद्र के रास्ते पूरी दुनिया का बिना रुके चक्कर लगाने वाले वह पहले भारतीय हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 10:07 AM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 11:02 AM (IST)
जानें कौन हैं - तीन दिन तक समुद्र में फंसे नौसेना कमांडर, कैसे हुआ रेस्क्यू
जानें कौन हैं - तीन दिन तक समुद्र में फंसे नौसेना कमांडर, कैसे हुआ रेस्क्यू

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। तीन दिन से घायल अवस्था में अपनी नाव में समुद्र में फंसे भारतीय नौसेना के कीर्ति चक्र विजेता कमांडर अभिलाष टॉमी (39) को सोमवार को दक्षिणी हिंद महासागर से सुरक्षित बचा लिया गया। नौसेना में पायलट कमांडर अभिलाष ‘गोल्डन ग्लोब रेस-2018’ में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 2013 में समुद्र के रास्ते पूरी दुनिया का बिना रुके चक्कर लगाने वाले वह पहले भारतीय हैं।

कमांडर अभिलाष की स्वदेशी नौका ‘एसवी थुराया’ के शुक्रवार को तूफान में फंसने की वजह से उसके मस्तूल क्षतिग्रस्त हो गए थे। समुद्र में तेज लहरें उठने से उनकी नाव का स्तंभ टूट गया था। इस वजह से उनकी पीठ में गंभीर चोट लग गई थी। शनिवार को उन्होंने अपनी वाईबी3 टेक्सटिंग यूनिट से फ्रांस स्थित रेस आयोजकों को खुद के घायल होने का संदेश भेजा था, लेकिन समुद्र में उनकी लोकेशन पता नहीं चली थी।

रविवार को भारतीय नौसेना के निगरानी और टोही विमान पी8आइ ने उनकी नाव का पता लगा लिया था। नौसेना प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने बताया कि फ्रांस के मछली पकड़ने वाले जहाज ‘ओसिरिस’ ने सोमवार सुबह करीब 11.30 बजे बचाव अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। इस दौरान भारतीय विमान पी-8आइ ने भी सहायता की।

जन्म : 5 फरवरी, 1979 चेटीपुझा, केरल

- भारतीय नौसेना के पायलट हैं।

- उनके पिता सेवानिवृत्त नौसैनिक हैं।

- 2000 में नौसेना में भर्ती हुए।

- 18 वर्ष के करियर में अब तक 52 हजार नॉटिकल मील की जलयात्रा कर चुके हैं।

- मार्च, 2013 में सागर परिक्रमा प्रोजेक्ट-2 के अंतर्गत उन्होंने बिना रुके दुनिया का चक्कर लगाया। ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय, दूसरे एशियाई और विश्व के 79वें व्यक्ति बने।

- इस अभियान के लिए वे नवंबर, 2012 में विशेष रूप से तैयार किए गए नौसेना के जहाज आइएनएसवी महादेई पर सवार होकर निकले।

- इसके तहत 151 दिनों में उन्होंने 23 हजार नॉटिकल मील की यात्रा की। 

- इस अभियान के दौरान वे पानी की कमी से जूझे। अंतिम 15 दिनों के लिए उनके पास सिर्फ 15 लीटर पानी बचा। अपने संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करते हुए उन्होंने वर्षाजल संचयन के जरिए जल का प्रबंध किया।

- उनकी यात्रा के समापन पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनका स्वागत किया।

- दुनिया के चारों ओर अपनी पहली एकल यात्रा के लिए 2013 में उन्हें शांति काल के दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।

- उनको मिला कीर्ति चक्र 39 वर्षों में भारतीय नौसेना को मिलने वाला पहला सम्मान था।

- उन्हें तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक अवार्ड से नवाजा गया है। 

- 2013 में उन्हें मैकग्रेगोर मेडल प्रदान किया गया। यह पुरस्कार खुफिया सैन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए भारतीय सेनाओं के अधिकारियों को दिया जाता है।

- वे केपटाउन में रियो याट रेस, स्पेन की कोपा डेल रे और कोरिया कप समेत कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारत को प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

- आइएनएसवी तारिणी पर नाविका सागर परिक्रमा के लिए जाने वाले महिला समूह को भी प्रशिक्षण दे चुके हैं। समुद्र के रास्ते दुनिया का चक्कर लगाने वाला यह दुनिया का पहला महिला समूह था।

- संडे टाइम्स की गोल्डन ग्लोब रेस की 5वीं वर्षगांठ पर आयोजित गोल्डन ग्लोब रेस बहुत मेहनत वाली प्रतियोगिता है। इसमें बिना किसी आधुनिक तकनीक की मदद लिए एक छोटी नाव में बैठकर दुनिया का चक्कर लगाना होता है।

अभिलाष के पिता को मिली राहत

भारतीय नौसेना के कमांडर अभिलाष टॉमी को सुरक्षित बचा लेने पर उनके पिता वीसी टॉमी ने खुशी जताई है। मीडिया से बात करते हुए अभिलाष के पिता ने कहा कि अब हमें 75 फीसद राहत मिली है। हम सभी पिछले तीन दिनों से तनाव में थे। नौसेना अफसर के पिता भी नेवी में कमांडर थे। बता दें कि गोल्डन ग्लोब रेस के दौरान नौका के दक्षिण हिंद महासागर में तेज तूफान में फंसने से अभिलाष (39) घायल हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘हां, उन्हें बचा लिया गया है, फिलहाल हम यही कह सकते हैं कि वह मानसिक रूप से स्थिर हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं में दुर्घटनाओं की संभावना होती है। इससे हम सभी वाकिफ थे। मुझे पूरी उम्मीद है कि वह जल्द ही इससे बाहर आ जाएगा।

यह जानकर राहत मिली की नौसेना अधिकारी अभिलाष टॉमी को बचा लिया गया है। वह होश में हैं और ठीक हैं। आइएनएस सतपुड़ा उन्हें चिकित्सा के लिए मॉरीशस लेकर जाएगा।

निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री 

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