आखिरकार बदल गई किलोग्राम की परिभाषा, जानिए आम लोगों पर इसका क्या होगा असर
Kilogram definition changed, 129 साल बाद आखिरकार बदल गई किलोग्राम की परिभाषा, जानिए आम लोगों पर किलोग्राम की परिभाषा बदलने का क्या होगा असर
नई दिल्ली, जेएनएन। जैसे आम इंसान की जिंदगी में खाना, पीना, सोना जरूरी होता है। इसी प्रकार से हमारी-आपकी जिंदगी में किलोग्राम का भी काफी महत्व है। सब्जियां, फल, अनाज सबकी खरीददारी किलोग्राम में होती है। जरा सोचिए अगर किलोग्राम न होता तो रोजमर्रा की चीजें जैसे दाल, चीनी, फल, सब्जी वो किस आधार पर खरीदते। लेकिन अब यह किलोग्राम रिटायर हो चुका है, यानी किलो की परिभाषा बदल गई है। अब से एक किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा। हालांकि, इस बदलाव का असर आम जीवन पर नहीं पड़ेगा।
इसे समझने के लिए आपको बता दें कि एक किलो दाल खरीदते समय अगर आपको दाल का एक दाना कम मिले या ज्यादा इसे आपको क्या फर्क पड़ेगा। हालांकि इसका अगर आम जीवन पर पर नहीं पड़ेगा लेकिन विज्ञान के प्रयोगों के इसका काफी असर होगा, क्योंकि विज्ञान में सटीक माप की जरूरत होती है। किलोग्राम को परिभाषा को बदलने का यह फैसला फ्रांस में दुनिया के 60 वैज्ञानिकों ने वोटिंग करके लिया।
किलोग्राम की परिभाषा बदली
एक किलोग्राम को मापने वाली वस्तु फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक तिजोरी के अंदर रखी है। यह एक सिलेंडरनुमा बांट है। 'किलो के स्टैंडर्ड भार को ग्रैंड-के कहा जाता है। ये एक छोटे से कांच के बक्से में कैद है, जो गोल्फ की बॉल के बराबर ऊंचा एक सिलेंडर है। इसे दुनियाभर का स्टैंडर्ड एक किलो भार माना जाता था। किलोग्राम को पहली बार 1795 में डिफाइन किया गया था और 1889 में इसे बदला गया। अब 20 मई, 2019 से वैज्ञानिक किलोग्राम को मापने के नए तरीके का प्रयोग करेंगे। यहां तक की अब से छात्रों को भी परीक्षा में यही परिभाषा लिखनी होगी।
एक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा एक किलोग्राम
16 नवंबर, 2018 को फ्रांस के वर्साय में जनरल कॉन्फ्रेंस ऑन वेट्स एंड मेजर्स में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने वोट के जरिए किलोग्राम की परिभाषा को बदलने का फैसला लिया। अब से किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेन्ट के आधार पर मापा जाएगा। इसे मापने के लिए किब्बल तराजू का उपयोग होगा, जो करंट से संचालित होता है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि एम्पीयर (करंट की यूनिट), केल्विन (ठंडे तापमान की यूनिट) और मोल (पदार्थ की मात्रा की यूनिट) में भी बदलाव होंगे।
किलो की कहानी समझने के लिए जाना होगा 143 साल पीछे
143 साल पहले 1875 में 17 देशों ने मिलकर फ्रांस में इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मेजर्स (बीआइपीएम) की स्थापना की थी। इसका काम था- अलग-अलग चीजों के सात मानकों की इकाई तय करना। 7 स्टैंडर्ड (एसआइ) इकाई तय हुईं।
ये सात इकाई तय की गईं लंबाई के लिए मीटर भार के लिए किलोग्राम समय के लिए सेकंड करंट के लिए एम्पियर तापमान के लिए केल्विन पदार्थ की मात्रा के लिए मोल प्रकाश की तीव्रता के लिए कैंडेला