मानसून की बेरुखी से पिछड़ी खरीफ की खेती, देश के 50 फीसद हिस्से में सामान्य से कम बारिश

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एक से 18 जुलाई के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से हुई बारिश सामान्य से 26 फीसद कम हुई है। बीते सप्ताह मानसून कई राज्यों में सक्रिय हुआ है। इस सप्ताह देश के 694 जिलों में सामान्य से 35 फीसद कम बरसात हुई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 07:44 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:44 PM (IST)
मानसून की बेरुखी से पिछड़ी खरीफ की खेती, देश के 50 फीसद हिस्से में सामान्य से कम बारिश
खरीफ की बोआई के देर से होने की आशंका ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दक्षिण-पश्चिम मानसून के बिगड़े मिजाज से खरीफ की बोआई के देर से होने की आशंका ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। जून के अंतिम सप्ताह से मध्य जुलाई तक सूखे जैसे हालात के चलते बोआई थम सी गई थी। मानसूनी बारिश केवल खेती का आधार नहीं होती, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए अहम होती है। देश के 50 फीसद हिस्से में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिसका असर खरीफ सीजन की खेती पर पड़ सकता है।

सामान्य से 26 फीसद कम हुई बारिश

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एक से 18 जुलाई के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से हुई बारिश सामान्य से 26 फीसद कम हुई है। हालांकि बीते सप्ताह मानसून एक बार फिर कई राज्यों में सक्रिय हुआ है। इस सप्ताह देश के 694 जिलों में सामान्य से 35 फीसद कम बरसात हुई है। जबकि इसके पहले वाले सप्ताह में 42 फीसद की कमी थी। शोध एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 23 जून से 12 जुलाई के बीच मानसून से होने वाली बारिश 55 फीसद कम हुई है। जबकि राजस्थान में 58 फीसद और गुजरात में 67 फीसद की कमी रही है। मानसून की इस गड़बड़ चाल से खरीफ सीजन की खेती पर विपरीत असर पड़ा है।

प्रभावित होगी उत्‍पादकता

दलहनी और तिलहनी फसलों की बोआई पूरी तरह थम गई है। बोआई में होने वाली देरी का असर फसलों की उत्पादकता पर पड़ता है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले दो तीन सप्ताह खरीफ सीजन की खेती के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। जुलाई में मानसून की बेरुखी का असर खेती पर पड़ा है। 23 जुलाई तक कुल फसलों का बोआई आंकड़ा 7.21 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंच गया है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक कुल 7.92 करोड़ हेक्टेयर में बोआई हो चुकी थी।

बोआई लगभग नौ फीसद पीछे चल रही है। उड़द की बोआई पिछले साल के मुकाबले 23 फीसद पीछे है। इसी तरह मूंग की बोआई 18 फीसद पीछे है और बाजरा 29.16 फीसद पीछे चल रहा है। तिलहनी फसलों की बोआई 17 लाख हेक्टेयर पीछे चल रही है।

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