बीमा कंपनियों के दुर्घटना के बाद तत्काल मदद करने पर केरल हाई कोर्ट कर रहा विचार

केरल हाई कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या बीमा कंपनियां किसी व्यक्ति के दुर्घटना का शिकार होने पर तत्काल इलाज का खर्च उठा सकती हैं। छात्रों ने न्यायमूर्ति को पत्र लिखा था। इसे जनहित याचिका के रूप में लेकर सुनवाई शुरू की गई है।

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 08:18 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 08:18 PM (IST)
बीमा कंपनियों के दुर्घटना के बाद तत्काल मदद करने पर केरल हाई कोर्ट कर रहा विचार
बीमा कंपनियों के दुर्घटना के बाद तत्काल मदद करने पर केरल हाई कोर्ट कर रहा विचार।

कोच्चि, प्रेट्र। केरल हाई कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या बीमा कंपनियां किसी व्यक्ति के दुर्घटना का शिकार होने पर तत्काल इलाज का खर्च उठा सकती हैं। कुट्टिकानम के मरियन इंटरनेशनल मैनेजमेंट स्टडीज के छात्रों ने दुर्घटना का शिकार हुए लोगों के तत्काल उपचार कराने की लागत को बीमा कंपनियों या उनके नियामक बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा वहन किए जाने के संबंध में न्यायमूर्ति सुनील थामस को एक पत्र लिखा था। इसके बाद कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में लेकर सुनवाई शुरू की है।

दरअसल, छात्रों की एक सहपाठी घर लौटते समय दुर्घटना का शिकार हो गई थी। उसे इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वहां उसका समुचित इलाज नहीं हो सका। बाद में उसे स्कैनिंग सहित अन्य जांच कहीं बाहर करानी पड़ी। इसमें उसके माता-पिता को लगभग एक लाख रुपये खर्च करने पड़े थे। इस घटना के बाद छात्रों ने यह मामला उठाया।

छात्रों ने अपने पत्र में कोरोना काल का जिक्र करते हुए इस दौरान आई आर्थिक कठिनाइयों का भी जिक्र किया है। उन्होंने कोर्ट से बीमा कंपनियों और इरडा को दुर्घटना का शिकार हुए लोगों के तत्काल इलाज की लागत वहन करने और बाद में बीमा दावे से राशि काटने का निर्देश देने का आग्रह किया है। न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी. जयचंद्रन की पीठ के समक्ष बुधवार को यह मामला सूचीबद्ध था। पीठ ने कहा कि इस मामले पर अगले सप्ताह उपयुक्त पीठ सुनवाई करेगी।

केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ सरकारी वकील वी टेकचंद पेश हुए। छात्रों ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि पहले सरकार ने पहले 48 घंटों के लिए दुर्घटना पीड़ितों के आपातकालीन उपचार की देखभाल के लिए एक बीमा पालिसी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बीमा कंपनियों ने उसी की शर्तों का विरोध किया था। इसके बाद प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। छात्रों ने आगे दावा किया है कि केरल राज्य मानवाधिकार आयोग का एक आदेश है, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार को दुर्घटना पीड़ितों के इलाज का खर्च वहन करना चाहिए।

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