नदियों, जलाशयों का संरक्षण राज्य का मौलिक दायित्व, केरल हाई कोर्ट ने अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश

केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि नदियों जलाशयों और अन्य जल संसाधनों का संरक्षण राज्य के साथ-साथ संबंधित स्थानीय निकायों का मौलिक दायित्व है। अदालत ने केरल सरकार को मीनाचिल नदी के पानी की शुद्धता बनाए रखने के भी निर्देश दिए...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 06:31 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 07:24 PM (IST)
नदियों, जलाशयों का संरक्षण राज्य का मौलिक दायित्व, केरल हाई कोर्ट ने अधिकारियों को दिए कड़े निर्देश
केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि नदियों, जलाशयों और अन्य जल संसाधनों का संरक्षण राज्य का मौलिक दायित्व है।

कोच्चि, पीटीआइ। केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि नदियों, जलाशयों और अन्य जल संसाधनों का संरक्षण राज्य के साथ-साथ संबंधित स्थानीय निकायों का मौलिक दायित्व है। केरल सरकार और कोट्टायम की तीन नगरपालिकाओं को वहां 'मीनाचिल' नदी के पानी की शुद्धता बनाए रखने और नदी के किनारे से सभी अतिक्रमण हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी केरल उच्च न्यायालय की ओर से की गई है।

मुख्य न्यायाधीश एस. मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पे चेली ने कहा, 'नदियों और अन्य जल संसाधनों का संरक्षण राज्य के साथ-साथ संबंधित स्थानीय निकायों का मौलिक दायित्व है, जिनके साथ वे निहित हैं।' पीठ ने राज्य और अन्य निकायों को समय-समय पर, तीन महीने में एक बार निरीक्षण करने और कोट्टायम के जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश भी दिया।

इन निर्देशों के साथ पीठ ने कुछ लोगों के संगठन द्वारा दायर याचिका का निपटारा किया, जो नदियों के संरक्षण और आसपास के जमींदारों द्वारा अतिक्रमण को रोकने में रुचि रखते हैं। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने शुरुआत में जिलाधिकारी और सर्वेक्षण उपनिदेशक से सर्वेक्षण और राजस्व रिकार्डों के आलोक में मीनाचिल नदी की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने और किसी तरह का अतिक्रमण हो तो उसे हटाने का आग्रह किया था।

हालांकि, सर्वेक्षण उप निदेशक ने याचिकाकर्ता संगठन को तालुक कार्यालयों से संपर्क करने और अपनी जेब से खर्च का भुगतान करके सर्वेक्षण पूरा करने का निर्देश दिया। निर्देश को 'बेहद गैरकानूनी' बताते हुए याचिकाकर्ता संगठन ने कहा कि सर्वेक्षण करना राज्य और स्थानीय अधिकारियों का कर्तव्य है। नगर निकायों ने अपने बचाव में पीठ से कहा कि याचिका में उठाई गई समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए गए हैं। 

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