चीन को कुंद करना आसान नहीं, आर्थिक पकड़ रखना चीन की रणनीति का लक्ष्य

चीन को उम्मीद है कि आसियान देश चीन से कारोबार और अमेरिका से मिलने वाली सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करेंगे। इसीलिए आर्थिक पकड़ रखना और टकराव को सीमित रखना चीन की रणनीति का लक्ष्य रहा है और यह रणनीति काफी हद तक सफल भी रही है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 10:03 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 10:03 AM (IST)
चीन को कुंद करना आसान नहीं, आर्थिक पकड़ रखना चीन की रणनीति का लक्ष्य
चीन का मानना है कि एशिया में कोई देश रणनीतिक रूप से चीन से टकराने का इच्छुक नहीं है।

[डा बीआर दीपक] चीन का कहना है कि क्वाड एक चीन विरोधी गठजोड़ है, जिसका लक्ष्य चीन के उभार को रोकना है। चीन का रणनीतिक तबका भारत और जापान के बीच सैन्य अभ्यास, मालाबार सैन्य अभ्यास और क्वाड देशों के बीच के समझौतों को इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने के लक्ष्य की ओर बढ़ाया गया कदम मानता है। हालांकि चीन का मानना है कि एशिया में कोई देश रणनीतिक रूप से चीन से टकराने का इच्छुक नहीं है।

चीन के इस आत्मविश्वास के पीछे की वजह इस क्षेत्र में उसका कारोबार है। उदाहरण के तौर पर, 2020 में 731.9 अरब डालर के द्विपक्षीय कारोबार के साथ आसियान चीन का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया। दक्षिण एशिया के साथ 2017 में ही चीन का कारोबार 126.7 अरब डालर पर पहुंच गया था और लगातार बढ़ रहा है। भारत के साथ भी 2021 की पहली छमाही में चीन का द्विपक्षीय कारोबार 62.7 फीसद बढ़कर 57.48 अरब डालर पर पहुंच गया। बीआरआइ से जुड़े देशों में चीन का निवेश 2020 में करीब 47 अरब डालर रहा है, जबकि अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 2020 में मात्र 1.5 अरब डालर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी।

चीन के ज्यादातर जानकार भारत को क्वाड की सबसे कमजोर कड़ी मानते हैं। दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में भारत का दखल केवल राजनयिक और सार्वजनिक राय पर आधारित है। हालांकि उनका यह भी मानना है कि क्वाड का विकास भारत के रुख पर निर्भर करेगा और भारत की सैन्य क्षमता को मजबूत करने में क्वाड महत्वपूर्ण हो सकता है। साथ ही चीन यह भी मानता है कि वह भारत और जापान दोनों के साथ सामान्य संबंधों को मजबूत कर सकता है, क्योंकि दोनों ही देश चीन से रणनीतिक टकराव को असहनीय बोझ मानते हैं। ऐसे में अभी यह कहना संभव नहीं है कि क्वाड चीन के विस्तारवादी रुख पर लगाम लगाने में कितना कारगर हो पाएगा।

(चेयर पर्सन, सेंटर फार चाइनीज एंड साउथ ईस्ट एशियन स्टडीज, जेएनयू)

देवानंद राय

चीन को सबक सिखाने के लिए भारत का क्वाड का हिस्सा बनना समय की जरूरत है। क्वाड का नाम सुनते ही चीन का तिलमिलाना बताता है कि निशाना सही जगह लग रहा है। भारत को कूटनीतिक और रणनीतिक मोर्चे पर सतर्क रहने की जरूरत है।

अनुज यादव

अफगानिस्तान और द. चीन सागर में चीन की कमर तोड़ने में क्वाड देशों की रणनीति सफल होने की उम्मीद है। देखना यही है कि अन्य देशों के हित जिस तरह चीन से जुड़े हैं, उनका इस समूह पर क्या असर होता है।

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