ज्ञान और मनोरंजन का उम्दा मिश्रण 'कौन बनेगा करोड़पति', अमिताभ को भी कामयाबी का श्रेय

कौन बनेगा करोड़पति में आए प्रतिभागी आम आदमी के संघर्ष के साथ ही देश की संस्कृति और वास्तविकता से भी परिचय कराते हैं। कोने-कोने से आने वाले प्रतिभागी न केवल अपनी संस्कृति बल्कि एक आम आदमी के संघर्ष और देश की वास्तविकता का ज्वलंत बोध भी कराते हैं।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 10:11 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 10:11 AM (IST)
ज्ञान और मनोरंजन का उम्दा मिश्रण 'कौन बनेगा करोड़पति', अमिताभ को भी कामयाबी का श्रेय
केबीसी की कामयाबी का एक श्रेय अमिताभ बच्चन को भी जाता है, जिनकी शैली अनूठी है।

नई दिल्ली, कपिल अग्रवाल। कपिल अग्रवालदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय टेलीविजन कार्यक्रमों में से एक ‘कौन बनेगा करोड़पति’ यानी केबीसी का बारहवां खंड समाप्त हो रहा है। खास बात यह रही कि इस सीजन में करोड़पति के मुकाम तक सिर्फ महिलाएं ही पहुंच पाईं। इनमें कई महिलाएं साधनहीन और निम्न पृष्ठभूमि से थीं। इस शो की कामयाबी का एक श्रेय अमिताभ बच्चन को भी जाता है, जिनकी शैली अनूठी है। यह इससे भी स्पष्ट होता है, क्योंकि आयोजकों ने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान को भी प्रस्तोता बनाया था, लेकिन उस प्रयोग को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इस शो के प्रतिभागी भी इसकी बड़ी खासियत हैं जिनमें से अधिकांश देश के दूरदराज वाले इलाकों से आते हैं।

इस शो से यह भी पता चलता है कि देश के दूरदराज के इलाकों में विकास, तरक्की और बुनियादी ढांचे, सामान्य सुविधाओं और आम जनजीवन की क्या स्थिति है। जैसे कि एक प्रतिभागी ने बताया कि उसके इलाके में मोबाइल और इंटरनेट सिग्नल की स्थिति खराब है। इसके लिए लोगों को ऊंचे पेड़ पर चढ़ना पड़ता है। इसी प्रकार एक प्रतिभागी को चयनित होने के बाद अपने आवास से कई किलोमीटर पैदल चलकर चैनल की मोबाइल वैन तक पहुंचना पड़ा, क्योंकि कीचड़ भरे अत्यंत संकरे रास्ते के कारण किसी वाहन का उसके घर तक पहुंचना नामुमकिन था।

वास्तव में केबीसी ने अपने अब तक के सफर में हिंदूस्तान के कोने-कोने के लगभग सभी पहलुओं से देशवासियों को रूबरू भी कराया है। कोने-कोने से आने वाले प्रतिभागी न केवल अपनी संस्कृति, बल्कि एक आम आदमी के संघर्ष और देश की वास्तविकता का ज्वलंत बोध भी कराते हैं। जिस तरह की पृष्ठभूमि से प्रतियोगी आते हैं उसको देखते हुए सरकार को इसमें जीती जाने वाली राशि पर कर में राहत देने पर विचार करना चाहिए। कई प्रतियोगियों के पास तो शो में जाने के लिए वित्तीय व्यवस्था तक नहीं होती। सरकार चाहे तो यह कर का भार शो के आयोजकों पर डाल सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम देशों में इस तरह के शो या तो कर मुक्त हैं अथवा कर भार को बांटने की व्यवस्था की गई है। इस शो का एक बहुत दिलचस्प और रोमांच भरा पहलू है प्रत्येक सप्ताहांत पर प्रसारित होने वाला एपिसोड जिसमें कर्मवीर के तहत देश भर के उन महान समाज सेवकों से आम जनता तथा समाज को रूबरू कराया जाता है जिन्होंने बड़ी नौकरियों, व्यापार और अवसरों को ठुकरा कर अपनी जिंदगी समाज के उपेक्षित तबके के उद्धार के लिए समíपत कर दी!

बहरहाल जैसा कि शो के होस्ट अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में थकने एवं विश्रम लेने का संकेत दिया है तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि वह इस शो से विदाई ले लेते हैं तो इस लोकप्रिय शो का नया होस्ट कौन होगा। क्या उनकी अनुपस्थिति में यह अपनी कामयाबी कायम रख पाएगा?

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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