UNESCO World Heritage : विश्‍व धरोहर में शामिल हुआ तेलंगाना का काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर, उपलब्धि पर पीएम मोदी ने बधाई दी

तेलंगाना का काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर (Kakatiya Rudreshwara Temple) विश्‍व धरोहर में शामिल किया गया है। यूनेस्‍को की वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट (UNESCO World Heritage Site) ने इसे विश्‍व धरोहर के तौर पर जगह दी है। पीएम मोदी ने इस उपलब्‍धि‍ पर बधाई दी है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 08:40 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 12:27 AM (IST)
UNESCO World Heritage : विश्‍व धरोहर में शामिल हुआ तेलंगाना का काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर, उपलब्धि पर पीएम मोदी ने बधाई दी
तेलंगाना का काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर (Kakatiya Rudreshwara Temple) विश्‍व धरोहर में शामिल किया गया है।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। तेलंगाना का काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर (Kakatiya Rudreshwara Temple) विश्‍व धरोहर में शामिल किया गया है। यूनेस्‍को की वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट (UNESCO World Heritage Site) ने इसे विश्‍व धरोहर के तौर पर जगह दी है। 800 साल पुराने इस मंदिर को रामप्‍पा मंदिर (Ramappa Temple) के नाम से भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्‍धि पर देश को बधाई दी है।  

🔴 BREAKING!

Just inscribed as @UNESCO #WorldHeritage site: Kakatiya Rudreshwara (Ramappa) Temple, Telangana, in #India🇮🇳. Bravo! 👏

ℹ️ https://t.co/X7SWIos7D9 #44WHC pic.twitter.com/cq3ngcsGy9

— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳😷 (@UNESCO) July 25, 2021

मंदिरों में चमकता तारा

UNESCO ने रविवार को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। यूनेस्‍को ने कहा- 'यूनेस्‍को वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट में काकतीय रुद्रेश्‍वर (रामप्‍पा) मंदिर को शामिल किया गया है। बेहतरीन...' मार्को पोलो ने काकतीय वंश के दौरान बने इस मंदिर को तमाम मंदिरों में सबसे चमकता तारा कहा था।

वास्तु शिल्प का अद्भुत नमूना

भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में मुख्य रूप से रामलिंगेश्वर स्वामी की पूजा होती है। इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर को शिल्पकार रामप्पा का नाम दिया गया, जिसने 40 वर्षों के अथक प्रयास के बाद इसका निर्माण किया था। छह फीट ऊंचे सितारे जैसे प्लेटफार्म पर निर्मित यह मंदिर वास्तु शिल्प का अद्भुत नमूना है।

प्रधानमंत्री ने बधाई दी 

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'उत्कृष्ट! सभी को बधाई, खासकर तेलंगानावासियों को। मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे काकतीय वंश द्वारा निर्मित इस अद्भुत मंदिर का अनुभव जरूर लें।' मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी यूनेस्को के निर्णय का स्वागत करते हुए खुशी जताई।

Excellent! Congratulations to everyone, specially the people of Telangana.

The iconic Ramappa Temple showcases the outstanding craftsmanship of great Kakatiya dynasty. I would urge you all to visit this majestic Temple complex and get a first-hand experience of it’s grandness. https://t.co/muNhX49l9J pic.twitter.com/XMrAWJJao2— Narendra Modi (@narendramodi) July 25, 2021

केटी रामा राव ने कही यह बात

तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव ने भी इस उपलब्धि पर प्रसन्‍नता जताई। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा- आप सभी को एक अच्‍छी खबर साझा कर रहा हूं। यूनेस्‍को ने तेलंगाना के 800 साल पुराने काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर को विश्‍व धरोहर में शामिल कर लिया है। मैं इसके लिए प्रयासरत सभी लोगों को बधाई देता हूं। यह मंदिर तेलंगाना की पहली वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट है। हमरा अगला लक्ष्‍य राजधानी हैदराबाद को वर्ल्‍ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाना है।

Happy to share the good news that

the 800 year old Kakatiya Rudreshwara #RamappaTemple in #Telangana has been inscribed as a UNESCO #WorldHeritage Site

My compliments to everyone who was involved in the effort pic.twitter.com/BIPCCiHyOJ— KTR (@KTRTRS) July 25, 2021

हजार खंभों पर बना मंदिर

इस मंदिर में शिव, श्री हरि और सूर्य देवता की प्रतिमाएं स्‍थापित हैं। यह हजार खंभों पर बना प्राचीन वास्‍तु शिल्‍प का बेजोड़ नमूना है। इसका विशाल प्रवेश द्वार काफी आकर्षक है। मंदिर पर बनी मनमोहक नक्‍काशि‍यां बरबस ही लोगों का ध्‍यान खींच लेती हैं। ऐसे में जब इस दौर के बने कई मंदिर खंडहर में तब्‍दील हो गए हैं तब कई प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी इस मंदिर को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा है।

ग्रेट बैरियर रीफ के दर्जे को आस्ट्रेलिया ने बचाया

वहीं समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेट बैरियर रीफ के विश्व धरोहर दर्जे पर मंडरा रहे खतरे को आस्ट्रेलिया ने अंतरराष्ट्रीय मदद से टाल दिया। यूनेस्को ने रीफ को विश्व धरोहर से बाहर करने का प्रस्ताव दिया था, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण उसे काफी नुकसान हुआ है। उत्तरपूर्वी आस्ट्रेलिया तट पर स्थित दुनिया के सबसे बड़े प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र को यूनेस्को ने खतरों से घिरे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। आस्ट्रेलिया ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इसे वर्ष 2023 तक टाल दिया जाए।

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