अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष को दिया जाएगा 2018 का ज्ञानपीठ पुरस्‍कार

अंग्रेजी के प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताव घोष को साल 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। वे इस सम्मान से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं।

By TaniskEdited By: Publish:Fri, 14 Dec 2018 09:11 PM (IST) Updated:Fri, 14 Dec 2018 09:11 PM (IST)
अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष को दिया जाएगा 2018 का ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष को दिया जाएगा 2018 का ज्ञानपीठ पुरस्‍कार

नई दिल्ली, जेएनएन। अंग्रेजी के प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताव घोष को साल 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का एलान किया गया है। इस सम्मान को पाने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं। जानकारी अनुसार शुक्रवार को प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी लेखक अमिताव घोष को इस साल लिए यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया।

देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में अमिताव घोष को 11 लाख रूपए, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। बता दें कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था और घोष इस सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। वे इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर रखते हैं। घोष इससे पहले साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। 

लीक से हटकर करते हैं काम
62 वर्षीय घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है। घोष को साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी प्रमुख रचनाओं में 'द सर्किल ऑफ रीजन', 'द शेडो लाइन', 'द कलकत्ता क्रोमोजोम', 'द ग्लास पैलेस', 'द हंगरी टाइड', 'रिवर ऑफ स्मोक' और 'फ्लड ऑफ फायर' प्रमुख हैं। वषर्ष 2016 में प्रकाशित उनकी सबसे नई किताब 'द ग्रेट डीअरेंजमेंट : क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकबल' नॉनफिक्शन थी।

न्यूयार्क में रहते हैं अमिताव
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 11 जुलाई, 1956 को जन्मे अमिताव घोषष मौजूदा समय में अपनी पत्नी देबोराह बेकर (लेखिका) के साथ न्यूयार्क में रहते हैं। उन्होंने अपने जीवन के कई साल भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में बिताए हैं। उनकी पढ़ाई दून स्कूल, दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में हुई।

स्कालरशिप मिलने पर उन्होंने ऑक्सफोर्ड के सेंट एडमंड हॉल से सोशल एंथ्रोपोलॉजी में डीफिल किया। उन्होंने पहली नौकरी बतौर पत्रकार नई दिल्ली स्थित इंडियन एक्सप्रेस में की। इसके बाद उन्होंने देश--विदेश के कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन का कार्य किया।

58 हस्तियों को मिल चुका ज्ञानपीठ
अब तक यह पुरस्कार 58 साहित्यकारों को मिल चुका है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरूप को दिया गया था। इसे पाने वालों में कुछ अन्य प्रमुख लेखक कृष्णा सोबती, केदारनाथ सिंह, श्रीलाल शुक्ला, निर्मल वर्मा, गिरीश कर्नाड, महाश्वेता देवी, अमृता प्रीतम और यूआर अनंतमूर्ति हैं।

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