यूपी में बदलेगा एक और स्टेशन का नाम, झांसी का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन करने का प्रस्ताव

गृह मंत्रालय किसी भी रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने के प्रस्ताव को रेल मंत्रालय डाक विभाग व भारतीय सर्वेक्षण विभाग से अनापत्ति मिलने के बाद हरी झंडी देता है। इन विभागों को यह बताना होता है कि प्रस्तावित नाम से कोई शहर या गांव पहले से नहीं है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:40 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 07:00 PM (IST)
यूपी में बदलेगा एक और स्टेशन का नाम, झांसी का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन करने का प्रस्ताव
झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव यूपी सरकार ने दिया है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, प्रेट्र। उत्तर प्रदेश सरकार ने झांसी स्टेशन का नाम बदलकर 'वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन' करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर प्रक्रिया के तहत संबंधित एजेंसियों से प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियां मांगी गई हैं। एक सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियों से प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियां आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय किसी भी रेलवे स्टेशन या स्थान के नाम को बदलने के प्रस्ताव को रेल मंत्रालय, डाक विभाग व भारतीय सर्वेक्षण विभाग से अनापत्ति मिलने के बाद हरी झंडी देता है। इन विभागों को यह बताना होता है कि प्रस्तावित नाम से कोई शहर या गांव पहले से उनके रिकार्ड में नहीं है। अगर किसी राज्य का नाम बदलना हो तो उसके लिए संसद में साधारण बहुमत के साथ संविधान में संशोधन करना पड़ता है।

गौरतलब है कि यूपी में इससे पहले मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन किया गया था। इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज किया गया है। जबकि फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया है। अब झांसी रेलवे स्टेशन का नाम 1857 की क्रांति का चेहरा रहीं रानी लक्ष्मीबाई के नाम के नाम पर करने की तैयारी है। बता दें कि रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी भी कहा जाता है, ऐसे में उनके नाम से रेलवे स्टेशन का नाम होना, एक बड़े प्रतीक के तौर पर देखा जा सकता है।

जानें- झांसी के बारे में

उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा झांसी उत्तर भारत में पुणे के पेशवाओं की एक महत्वपूर्ण रियासत और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बड़ा गढ़ रहा है। महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों की फौज को नाकों चने चबवा दिये थे। वह अंग्रेजों की सेना से लड़ते हुए ग्वालियर में 18 जून 1858 को वीरगति को प्राप्त हुईं थीं। यह ऐतिहासिक शहर महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की कर्मस्थली रहा है। बुंदेलखंड का यह शहर एक बड़ी सैन्य छावनी है और रेलवे का बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र है।

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