सलाखों के बाहर रहूं या भीतर करूंगा रामलला और राष्ट्र का कार्य ही: पवैया

जयभान सिंह पवैया ने कहा कि मैं 29 सितंबर की सुबह लोटा लंगोटी साथ लेकर लखनऊ जा रहा हूं। जेल के भीतर रहे तो रामजी का काम करूंगा सलाखों के बाहर रहा तो बचा हुआ जीवन राम और राष्ट्र के नाम है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 08:21 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 08:21 AM (IST)
सलाखों के बाहर रहूं या भीतर करूंगा रामलला और राष्ट्र का कार्य ही: पवैया
ढांचा विध्वंस के मामले में बहुप्रतिक्षित फैसला 30 सितंबर को आना है।

ग्वालियर, जेएनएन। अयोध्या ढांचा विध्वंस के मामले में बहुप्रतिक्षित फैसला 30 सितंबर को आना है। इसके पहले बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाजपा के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया से दैनिक जागरण के सहयोगी नईदुनिया ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि मैं 29 सितंबर की सुबह लोटा, लंगोटी साथ लेकर लखनऊ जा रहा हूं। जेल के भीतर रहे तो रामजी का काम करूंगा, सलाखों के बाहर रहा तो बचा हुआ जीवन राम और राष्ट्र के नाम है। यह मेरे लिए लज्जा की नहीं गौरव की बात है। कितने जीवन न्यौछावर हुए, कितनों ने खून तो कितनों ने पसीना बहाया है तब मंदिर निर्माण होते आंखों से देख पा रहा हूं।

आंतकी कर सकते हैं हरकत

पवैया ने कहा कि श्रीराममंदिर विरोधी कुछ ताकतें और आंतकवादी गुटों की निगाहें इस फैसले पर लगी हैं। गुप्तचर विभाग को इन लोगों की बौखलाहट और हरकत करने की तैयारियों के संकेत मिल रहे हैं। प्रमुख नेताओं और संतों को पूरी तरह सुरक्षा कवच देने की तैयारियां सरकार ने की है। उप्र पुलिस मुख्यालय ऐसे संवेदनशील नेताओं व संतों के पहुंचने के मार्गो की जानकारी जुटा रहा है।

याद किए पुराने दिन

पवैया ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को ढांचा विध्वंस हुआ था। इसके बाद 36 लोगों पर प्रकरण दर्ज किया गया। उमा भारती, लालकृष्ण आडवाणी, अशेाक सिंघल व मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार को ढांचा विध्वंस के तत्काल बाद हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद सात दिसंबर 1993 को हम लोगों ने यह सारा प्रकरण कांग्रेस सरकार के इशारे पर कूटरचित तरीके से दर्ज किए जाने के विरोध में जमानत लेने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद हमें लखनऊ जेल भेज दिया गया। आठ दिसंबर को अचानक मुलायम सिंह का राजकीय विमान आया और हमें लेकर माताटीला में अस्थाई जेल में भेजा गया। यह समाचार मिलने पर बुंदेलखंड व ग्वालियर में कार्यकर्ताओं में सरगर्मी तेज हो गई। इसकी सूचना मिलते ही दो दिन बाद विमान से हमें वाराणसी ले जाया गया। वहां से मुझे गिरिराज किशोर, सतीश प्रधान को मिर्जापुर के चुनार किले में जेल बनाकर रखा गया। वहां पर मैंने व आचार्य गिरिराज किशोर ने अनशन किया था।

घर से नहीं मिली थी ईट, भाषणों की कैसेट ले गए

पवैया ने कहा कि इस कार्य के लिए पार्टी व संघ ने कानूनी मोर्चे पर लड़ने के लिए तत्कालीन भाजपा नेता प्रमोद महाजन को जिम्मेदारी सौंपी थी। कांग्रेस सरकार ने आरएसएस पर उस समय प्रतिबंध लगा दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था। इस दौरान अनेक नेताओं सहित मेरे घर भी छापा डाला गया। वहां से सीबीआइ को ढांचे की ईट बरामद नहीं हुई थी, लेकिन वे मेरे भाषणों की कैसेट व दस्तावेज जब्त कर ले गए थे।

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