आइटीबीपी ने कोविड-19 से पीड़ित बुजुर्ग सैनिकों के लिए खोला स्वास्थ्य केंद्रों का दरवाजा
आइटीबीपी महानिदेशक देसवाल ने अपने संदेश में कहा कि हमारे हिमवीरों (पर्वतीय योद्धाओं) ने जीवनभर पसीना बहाया है। हम नहीं चाहते कि उन्हें किसी तरह की परेशानी आए
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) ने कोरोना वायरस से पीड़ित अपने बुजुर्ग सैनिकों के लिए देशभर में अपने स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों का दरवाजा खोल दिया है। आइटीबीपी के महानिदेशक एसएस देसवाल ने अपने सभी सैनिकों को एक आधिकारिक संदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं कि कोविड-19 के लिए नामित अस्पतालों में प्रवेश या उपचार में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है या उनसे अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। इसके बाद यह फैसला किया गया है।
देसवाल ने अपने संदेश में कहा कि हमारे हिमवीरों (पर्वतीय योद्धाओं) ने जीवनभर पसीना बहाया है। हम नहीं चाहते कि उन्हें किसी तरह की परेशानी आए। इसलिए हमारे सभी बुजुर्ग सैनिकों को स्वास्थ्य सेवाओं की पेशकश की जा रही है, यदि उनमें से कोई भी कोविड-19 से संक्रमित है।
आइटीबीपी में लगभग 20,000 सेवानिवृत और आश्रित कर्मचारी
उन्होंने आगे कहा कि पूरे देश में बल के सभी अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमण वाले वरिष्ठ सैनिकों को स्वीकार करेंगे और उनका इलाज करेंगे। आइटीबीपी में लगभग 20,000 सेवानिवृत्त और आश्रित कर्मचारी हैं। आइटीबीपी ग्रेटर नोएडा में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों या अर्धसैनिक बलों के लिए एक सुपर स्पेशलिटी रेफरल अस्पताल चलाता है। दिल्ली की तिगरी और अरुणाचल प्रदेश के किमिन में इसके दो बेस अस्पताल हैं। देहरादून और चंडीगढ़ में संयुक्त अस्पताल के अलावा देश के हर बेस में स्वास्थ्य केंद्र हैं।
देसवाल ने अपने संदेश में आगे कहा कि आइटीबीपी में कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में है, क्योंकि फील्ड इकाइयों में प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया गया। उन्होंने कहा कि आप सभी ने इस तनावपूर्ण अवधि में योगदान दिया है। हम अपने डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल कर्मचारियों पर बहुत गर्व करते हैं, जिन्होंने ईमानदारी से और अत्यंत समर्पण के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काम करने वाले सभी बलों के सैनिकों और पुलिसकर्मियों का इलाज किया है।