डेल्टा प्लस को तीसरी लहर का कारण बताना जल्दबाजी होगी, ICMR के विज्ञानी बोले- बहुत चिंतित न हों

भारत में इस वैरिएंट के अधिकांश मामले महाराष्ट्र केरल और मध्य प्रदेश में पाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों के प्रभावित जिलों में रोकथाम के उपाय तेज करने की सलाह दी है। डेल्टा प्लस विशेषज्ञों द्वारा पहचाना गया कोरोना का एक घातक वैरिएंट है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 06:52 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 07:03 AM (IST)
डेल्टा प्लस को तीसरी लहर का कारण बताना जल्दबाजी होगी, ICMR के विज्ञानी बोले- बहुत चिंतित न हों
डेल्टा प्लस को तीसरी लहर का कारण बताना जल्दबाजी होगी, ICMR के विज्ञानी बोले- बहुत चिंतित न हों

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में पहली बार देखे गए कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट की संभावित तीसरी लहर के लिए कारण बताना फिलहाल जल्दबाजी होगी। इस बारे में आइसीएमआर के विज्ञानी ने कहा कि फिलहाल तीसरी लहर के लिए बहुत चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

भारतीय परिषद चिकित्सा अनुसंधान (आइसीएमआर) के विज्ञानी और महामारी विज्ञान व संचारी रोग विभाग के कार्यक्रम अधिकारी डा.सुमित अग्रवाल ने कहा कि अभी से तीसरी लहर के लिए चिंता करना सही नहीं है।

उल्लेखनीय है डेल्टा प्लस विशेषज्ञों द्वारा पहचाना गया कोरोना का एक घातक वैरिएंट है। इसे लेकर विज्ञानी अध्ययन कर रहे हैं।

भारत में इस वैरिएंट के अधिकांश मामले महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में पाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों के प्रभावित जिलों में रोकथाम के उपाय तेज करने की सलाह दी है।

यह वैरिएंट डेल्टा (बी.1.617.2) संस्करण में उत्परिवर्तन के कारण बना है। इसकी गंभीरता के बारे में विज्ञानी अभी भी अंधेरे में हैं।

डा.अग्रवाल के अनुसार प्रत्येक एमआरएनए वायरस की यह एक सामान्य प्रवृत्ति है कि उसका उत्परिवर्तन होगा। ये उत्परिवर्तन अपरिहार्य है, हम उत्परिवर्तन को नियंत्रित नहीं कर सकते। जैसे-जैसे समय बीतेगा हम इसकी प्रवृत्ति के बारे में जानते जाएंगे। शुरुआत में अल्फा था, फिर डेल्टा और अब डेल्टा प्लस।

डा.सुमित ने यह भी कहा कि भविष्य में और म्यूटेशन देखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा, कि इस वैरिएंट के तीन लक्षण हैं जिन्हें हमने अब तक पहचाना है। इसकी संचरण क्षमता उच्च स्तर की है। यह फेफड़ों की कोशिकाओं के प्रति उच्च आत्मीयता (हाई एफिनिटी) रखता है। इस पर मोनोक्लोनल एंटीबाडी थेरेपी बहुत कारगर नहीं है।

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