जानें- गगनयान की लेडी रोबोट व्योममित्रा के बारे में, जिसे पहली बार अंतरिक्ष में भेजेगा ISRO

व्योममित्रा ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को अपना परिचय खुद देकर चौंका दिया। हाफ-ह्यूमोनायड व्योममित्रा ने कहा सबको हैलो। मैं व्योममित्रा हूं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 07:16 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 10:25 PM (IST)
जानें- गगनयान की लेडी रोबोट व्योममित्रा के बारे में, जिसे पहली बार अंतरिक्ष में भेजेगा ISRO
जानें- गगनयान की लेडी रोबोट व्योममित्रा के बारे में, जिसे पहली बार अंतरिक्ष में भेजेगा ISRO

बेंगलुरु,एएनआई । भारतीय अंतरिक्ष संगठन इसरो अगले साल दिसंबर में अपने पहले मानवरहित गगनयान में 'लेडी रोबोट' व्योममित्रा को भेजेगा। जीती जागती आधुनिक महिला दिखने वाली यह मशीन भारतीय अंतरिक्ष अभियान के लिए बेहद अहम साबित होगी। यह ह्यूमोनायड अंतरिक्ष में मानव गतिविधियों को अंजाम देगा। साथ ही वहां के पर्यावरण से तालमेल बिठाने के साथ ही जीवन रक्षक प्रणाली को नियंत्रित करेगा।

उद्घाटन सत्र में सबके आकर्षण का केंद्र रही लेडी रोबोट का संस्कृत नाम व्योममित्रा (यानी अंतरिक्ष मित्र) रखा गया है। व्योममित्रा ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को अपना परिचय खुद देकर चौंका दिया। हाफ-ह्यूमोनायड व्योममित्रा ने कहा, 'सबको हैलो। मैं व्योममित्रा हूं। हाफ-ह्यूमोनायड की प्रोटोटाइप हूं। मुझे पहले मानवरहित गगनयान मिशन के लिए बनाया गया है।' मिशन में अपनी भूमिका को स्पष्ट करते हुए उसने बताया, 'मैं माड्यूल पैरामीटर की निगरानी कर सकती हूं। आपको सतर्क कर सकती हूं। पैनल ऑपरेशन शुरू करने जैसी गतिविधियों को अंजाम दे सकती हूं।

Bengaluru: ISRO's half humanoid 'Vyommitra' to be placed in the first unmanned mission under #Gaganyaan to simulate most of the human body functions. Sam Dayal, ISRO scientist says, "It will try to simulate a human & report back to us. We are doing this as an experiment". pic.twitter.com/tikJJLierO

— ANI (@ANI) January 22, 2020

मैं एक सहयोगी हूं और अंतरिक्ष यात्रियों से वार्तालाप भी कर सकती हूं। इसके अलावा मैं उनको पहचान कर उनकी मांगी जानकारियां भी उन्हें दे सकती हूं।' व्योममित्रा के अपना परिचय खुद देने के बाद सिवन ने बताया कि यह अंतरिक्ष में मानव की तरह ही सारे कामों को अंजाम दे सकती है। वह यह भी जांच कर सकती है कि सिस्टम सही चल रहा है या नहीं। इससे यह आकलन करने में आसानी होगी कि अंतरिक्ष में मानव का व्यवहार कैसा होगा।

इसरो के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे गगननॉट्स (Gaganauts) की ट्रेनिंग रूस में 11 महीने चलेगी। इसके बाद वे भारत में आकर क्रू मॉड्यूल की ट्रेनिंग लेंगे। ये ट्रेनिंग बेंगलुरु के पास चलकेरा में होने की संभावना है।

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