इसरो एसएसएलवी की पहली उड़ान में दो रक्षा उपग्रह करेगा प्रक्षेपित

इसरो के अध्यक्ष के सिवान ने कहा, हम इस जुलाई या अगस्त में अपने नए एसएसएलवी रॉकेट से प्रत्येक 120 किलोग्राम के दो रक्षा उपग्रह छोड़ने की योजना बना रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 08:26 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 08:26 PM (IST)
इसरो एसएसएलवी की पहली उड़ान में दो रक्षा उपग्रह करेगा प्रक्षेपित
इसरो एसएसएलवी की पहली उड़ान में दो रक्षा उपग्रह करेगा प्रक्षेपित

चेन्नई, आइएएनएस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जुलाई-अगस्त में अपने नए लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से दो हल्के रक्षा उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा।

इसरो के अध्यक्ष के सिवान ने कहा, 'हम इस जुलाई या अगस्त में अपने नए एसएसएलवी रॉकेट से प्रत्येक 120 किलोग्राम के दो रक्षा उपग्रह छोड़ने की योजना बना रहे हैं। रॉकेट के डिजाइन का हाल में तकनीकी तौर पर पूरी समीक्षा की गई।'

उन्होंने बताया कि अपनी पहली उड़ान में एसएसएलवी कुल 500 किलोग्राम भार लेकर जाएगा। 120 किलोग्राम वाले दो रक्षा उपग्रहों के साथ ही एडाप्टर और अन्य उपकरण भी होंगे, जिनका वजन लगभग तीन सौ किलोग्राम होगा। रॉकेट का कुल वजन 110 टन है।

इसरो के लिए एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन के अलावा एक अन्य व्यवसायिक कंपनी की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर सिवान ने कहा,'हम एसएसएलवी के निर्माण में तेजी लाना चाहते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हर महीने दो से तीन एसएसएलवी रॉकेट की मांग होगी।

इसके अलावा हम ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का निर्माण भी बढ़ाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा कि निर्माण में तेजी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र की साझेदारी जरूरी लग रही है। सिवान ने कहा कि एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन ट्रांस्पोंडर लीजिंग और अन्य गतिविधियों से जुड़ा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसरो और उसकी सहयोगी इकाइयों द्वारा अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो के व्यवसायिक दोहन के लिए अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के अंतर्गत एक नई कंपनी के गठन को मंजूरी दी गई। इसरो प्रोग्राम के व्यवसायिक लाभ के लिए भी योजना बनाई गई है।

इसरो अपने छोटे उपग्रहों की तकनीकी को हस्तांतरित कर राजस्व की कमाई कर सकता है। इसका हस्तांतरण उन कंपनियों को किया जा सकता है जो डीओएस/इसरो से लाइसेंस लेकर उसे दूसरे उद्योगों को देती हैं और जो निजी क्षेत्र के साथ मिलकर एसएसएलवी का निर्माण करती हैं।

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