Israel-Palestine Conflict: इजरायल सेना के शस्त्रागार में है बेहद मारक हथियार
Israel-Palestine Conflict एफ-35 लाइटनिंग एक अकेली सीट और इंजन का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। यह विशेष तौर पर टोह लेने जमीन और हवा में मार करने और रडार की पकड़ में आए बिना दुश्मन के इलाके में जाने में सक्षम है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Israel-Palestine Conflict सैन्य ताकत की बात करें तो इजरायल बेहद ताकतवर है। उसके शस्त्रागार में सबसे उन्नत हथियार हैं। हमास के साथ चल रहे संघर्ष में इजरायल आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली सहित पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 लड़ाकू विमानों का उपयोग कर रहा है। जबकि हमास विदेशी सहायता से निर्मित राकेट सहित एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) और कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है।
इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम को ‘आयरन डोम’ कहा जाता है। इजरायली सेना का दावा है कि उसका ‘आयरन डोम’ सिस्टम दुश्मन की 90 फीसद मिसाइलों को हवा में ही ध्वस्त कर देता है। यह एयर डिफेंस सिस्टम दुश्मन के ड्रोन को भी नेस्तनाबूद कर देता है। राफेल एडवांस डिफेंस सिस्टम और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री ने इसे बनाया है। इजरायल ने समुद्री सुरक्षा के लिए इसी तरह का नेवल वर्जन भी तैयार किया है। इसका नाम सी डोम रखा है।
रडार की पकड़ में भी नहीं आता एफ-35 लड़ाकू विमान: इजरायली सेना आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली के अलावा हाल में वायुसेना में शामिल किए गए एफ-35 लाइर्टंनग लड़ाकू विमानों का भी उपयोग कर रहा है। खास बात यह है कि इजरायल पहला ऐसा देश है, जिसने पश्चिम एशिया में एफ-35 एस लड़ाकू विमानों को तैनात किया है। इनके अलावा इजरायल एफ 15एस और एफ-16एस लड़ाकू विमानों का भी उपयोग कर रहा है।
ये हैं विशेषताएं: एफ-35 लाइटनिंग एक अकेली सीट और इंजन का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। यह विशेष तौर पर टोह लेने, जमीन और हवा में मार करने और रडार की पकड़ में आए बिना दुश्मन के इलाके में जाने में सक्षम है। इसे अमेरिकी कंपनी लाकहीड मार्टिन ने बनाया है। इसकी कीमत 100 मिलियन डालर (750 करोड़ रुपये) के आसपास है।
चीनी राकेट के साथ स्थानीय स्तर पर बने राकेट दाग रहा हमास: हमास जिन राकेटों का इस्तेमाल कर रहा है, वह विदेशी सहायता की मदद से स्थानीय स्तर पर ही तैयार किए गए हैं। यह राकेट 12 किमी से लेकर 120 किमी तक मार करने में सक्षम हैं। इसके अलावा चीनी राकेट का भी इस्तेमाल कर रहा है। सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक इजरायल पर हमला करने के लिए मुख्य तौर पर ए-120 राकेट का इस्तेमाल किया गया है। इन राकेटों को स्थानीय तौर पर निर्मित आठ ट्यूब लांचरों से छोड़ा जाता है। चालीस किलोमीटर तक मार करने में सक्षम एस-40 को भी आठ ट्यूब लांचरों से छोड़ा जाता है। खास बात यह है कि इजरायल के टोही विमानों से बचाने के लिए इन राकेटों को रेत के नीचे छिपाकर रखा जाता है। हमास सोवियत काल के बीएम-21 ग्रेड राकेट का भी उपयोग कर रहा है।