क्या दाभोलकर की हत्या की जांच धीमा करने का प्रयास कर रही है सीबीआइ
रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ और अधिक साक्ष्य जुटाने पर बल दिया। उसका कहना है कि अभी तक उसके पास जो साक्ष्य हैं, वह अन्य आरोपियों से पूछताछ पर आधारित हैं।
मुंबई, प्रेट्र। तर्कशास्त्री नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच को सीबीआइ धीमा करने का तो कोई प्रयास नहीं कर रही है? जस्टिस एससी धर्माधिकारी और भारती डांगरे की बांबे हाई कोर्ट की पीठ ने जांच एजेंसी से यह सवाल तब पूछा जब उसने शुक्रवार को इस मामले की प्रगति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी।
दरअसल, शुक्रवार को सौंपी रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ और अधिक साक्ष्य जुटाने पर बल दिया। उसका कहना है कि अभी तक आरोपियों के खिलाफ उसके पास जो साक्ष्य हैं, वह अन्य आरोपियों से पूछताछ पर आधारित हैं। हालांकि जांच एजेंसी द्वारा पहले सौंपी गई रिपोर्टो में दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े कुछ लोगों के नाम दिए गए थे और उन पर कार्रवाई के बारे में कहा गया था।
कानून से ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं
पीठ ने कहा कि शुक्रवार को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर ही हम सीबीआइ से पूछना चाहते हैं कि क्या वह कुछ लोगों के खिलाफ जानबूझकर जांच धीमा करने का प्रयास कर रही है। कोर्ट ने सीबीआइ को सुनिश्चित करने को कहा कि जांच को किसी भी कीमत पर धीमा नहीं किया जाए, क्योंकि कोई भी व्यक्ति कानून से ज्यादा शक्तिशाली नहीं है। इस मौके पर सीबीआइ की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि एजेंसी जांच धीमा करने का कोई प्रयास नहीं कर रही है। सिंह ने कोर्ट को बताया, 'सभी आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के सुबूत कमजोर नहीं पड़ें, इसके लिए हम पर्याप्त सुबूत इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं।'
अगली प्रगति रिपोर्ट 17 जनवरी तक सौंपे
दाभोलकर और वामपंथी नेता गोविंद पानसरे के रिश्तेदारों ने कोर्ट की निगरानी में जांच करने के संबंध में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए पीठ ने जांच एजेंसियों को तमाम दिशानिर्देश देने के साथ ही जांच एजेंसियों से दोनों मामलों में अगले साल 17 जनवरी तक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। 20 अगस्त 2013 को दाभोलकर की जहां पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी वहीं वामपंथी नेता गोविंद पानसरे को 16 फरवरी 2015 को गोली मारी गई थी। चार दिन बाद उनकी मौत हो गई थी। दाभोलकर की हत्या की जांच जहां सीबीआइ कर रही है वहीं पानसरे मामले की जांच महाराष्ट्र सीआइडी का विशेष जांच दल कर रहा है।