International Yoga Day 2020: योग जीवन के लिए रामबाण है, संजीवनी बूटी है
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बताया कि आज संकट की घड़ी में योग से ही हम जीवन को सुखी बना सकते हैं। यही मार्ग नीरोगता के पथ पर ले जाता है।
ऋषिकेश, हरीश तिवारी। वर्तमान संकट के दौरान स्वस्थ और सुखी रहने का महत्वपूर्ण मंत्र है योग। इससे तन स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है। यही मनुष्य की सबसे बड़ी अभिलाषा है कि जीवन सुखी एवं मस्त रहे। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग एक पॉवर बूस्टर है। यह ओज और ऊर्जा को बढ़ाता है। योग बाहर और भीतर, दोनों तरह के वायरस से लड़ने की क्षमता रखता है।
यह तन की थकान के साथ मन के तनाव को भी हर लेता है। इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि योग करें, रोज करें और मौज करें। योग मात्र आसन नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन पद्धति है, जैसे- दैनिक जीवन में कब उठना है, कब सोना है, क्या करना है और कैसे करना है। जानें क्या कहते है ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती।
योग की महत्ता को देखते हुए ही गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- ‘हे अर्जुन! योग में स्थित होते हुए सभी कर्मों को करो तो सफलता अवश्य मिलेगी।’ योग का अर्थ है संतुलन या संयम अर्थात आहार, विहार, वाणी, व्यवहार और विचार पर नियंत्रण, ‘युक्ताहार विहारस्य युक्त’ यानी बैलेंस। योग हमें अनुशासन का पाठ पढ़ाता है। आचरण में अनुशासन होगा तो हम जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान सरलता से कर सकते हैं। तब हमारे पास समस्याओं के साथ समाधान भी होगा। ‘योगो भवति दु:खहा’ यानी योग ही हमारी सारी समस्याओं का निदान है।
योग जीवन के लिए रामबाण है, संजीवनी बूटी है, इसलिए ऋषियों द्वारा प्रदान की गई योग की धरोहर को पहचानें। योग के माध्यम से खुद को तलाशें, तराशें और अनलॉक करें। आज संकट की घड़ी में योग से ही हम जीवन को सुखी बना सकते हैं। यही मार्ग नीरोगता के पथ पर ले जाता है। हम योगी बन सकें या न बन सकें, लेकिन इस संकट के दौर में सहयोगी और उपयोगी अवश्य बनें।