अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस: जानें कैसे कोरोना ने बदल दी आदत, अब एकजुट है पूरा परिवार
कोरोना के पहले यह सराफ परिवार भी आम परिवार की तरह बहुत ज्यादा नियमों में नहीं बंधा था लेकिन पिछले साल जब परिवार के कुछ सदस्य कोरोना की चपेट में आए और लंबा लॉकडाउन लगा तो यह परिवार पूरी तरह एकजुट हो गया।
अजय जैन, विदिशा। कोरोना महामारी ने जहां ढेरों दुख दिए हैं तो जीवन में कुछ सुखद बदलाव भी आए हैं। परिवार के लोगों को एक-दूसरे की अहमियत से परिचित कराया है। कोरोना में एक-दूसरे को खोने के डर ने छोटे से लेकर बड़े परिवारों तक को एक कर दिया है। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का सराफ परिवार भी इनमें शामिल है। कोरोना के बाद तीन पीढ़ियों में विस्तारित यह परिवार पूरी तरह एकजुट हो गया है। पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद से परिवार ने नियम बना लिया है कि अब रोज शाम को पूरा परिवार भगवान की आरती करेगा और फिर एक साथ बैठकर भोजन करेंगे। भोजन के दौरान मोबाइल और टीवी से दूर रहना इस घर में जरूरी है। इस दौरान सभी खूब बातचीत भी करते हैं।
मप्र के विदिशा जिले के एक परिवार को लॉकडाउन ने किया एकजुट
कोरोना के पहले यह सराफ परिवार भी आम परिवार की तरह बहुत ज्यादा नियमों में नहीं बंधा था लेकिन पिछले साल जब परिवार के कुछ सदस्य कोरोना की चपेट में आए और लंबा लॉकडाउन लगा तो यह परिवार पूरी तरह एकजुट हो गया। परिवार की मुखिया 80 वर्षीय मीरा बाई सराफ हैं, जिन्हें सब प्यार से काकी बोलते हैं और सब उनकी ही बात मानते हैं। काकी बताती हैं कि उनके पांच बेटे हैं। तीन बेटे अपने परिवार के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं। इनमें 80 साल से लेकर 13 वर्ष की उम्र वाली तीन पीढ़ियों के 17 सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा दो बेटे अपने परिवार के साथ शहर में ही अलग-अलग घरों में रहते हैं।
घर की 80 वर्षीय मुखिया ने बनाया नियम, छोटे से बड़े सभी कर रहे पालन
पहले घर पर किसी के भोजन का कोई समय नहीं था। सब अपनी सुविधानुसार अलग-अलग समय पर भोजन करते थे। कोई मोबाइल लेकर भोजन कर रहा होता था तो कोई टीवी के सामने बैठकर भोजन करता दिखता था। पिछले साल जब लॉकडाउन में परिवार के सब सदस्य घर पर ही रहने लगे तो हमने नियम बना दिया कि घर पर रोज शाम का भोजन सब साथ ही करेंगे। इस दौरान न तो कोई मोबाइल चलाएगा, न ही कोई टीवी देखेगा। शुरू-शुरू में बच्चों ने थोड़ी आनाकानी की लेकिन परिवार के दबाव में वे भी मान गए। अब सबकी आदत में आ गया है।
पहले भगवान की आरती फिर भोजन
मीराबाई के छोटे बेटे संदीप सराफ बताते हैं, इस बार जब कोरोना का प्रकोप बढ़ा और लॉकडाउन लगा तो परिवार में एक नई शुरआत हुई। रोज परिवार के सभी सदस्य शाम को एक साथ भगवान की आरती करते हैं। इसके बाद ही सब सदस्य भोजन के कमरे में पहुंचते हैं। अब बच्चों से लेकर बड़े तक भोजन के समय एक दूसरे से बातें करते हुए भोजन का आनंद लेते हैं। उनका कहना है कि इस शुरआत ने पूरे परिवार को एक सूत्र में बांध दिया है। इस बदलाव का फायदा यह हुआ कि सभी सदस्यों को एक-दूसरे की समस्याएं न सिर्फ पता होती हैं बल्कि बड़ी-बड़ी समस्याओं का भी चुटकियों में समाधान निकल जाता है।