Jagran Exclusive: पेट्रोल पंप पर आपकी जान के लिए खतरा बन रही यह खतरनाक गैस

याचिकाकर्ता ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुटाए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश के सात हजार पेट्रोल पंपों पर वेपर रिकवरी सिस्टम नहीं लगाए जा सके हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 10:17 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 10:18 AM (IST)
Jagran Exclusive: पेट्रोल पंप पर आपकी जान के लिए खतरा बन रही यह खतरनाक गैस
Jagran Exclusive: पेट्रोल पंप पर आपकी जान के लिए खतरा बन रही यह खतरनाक गैस

आलोक शर्मा, कानपुर। गाड़ी में पेट्रोल भरवाते हुए आपने कभी नहीं सोचा होगा कि पेट्रोल और डीजल से निकलने वाली गैस आपकी जिंदगी को खतरे में डाल सकती है, लेकिन यह सच है। इस खतरे से लोगों को बचाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीपीसीबी) ने वर्ष 2016 में देश के सभी पेट्रोल पंपों को वेपर रिकवरी सिस्टम लगाने के निर्देश दिए थे। इस आदेश का पालन राज्य सरकारों को कराना था, लेकिन उत्तर प्रदेश बानगी मात्र है कि ऐसा नहीं हो सका है।

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में लगाई याचिका में यह बात सामने आई। याचिकाकर्ता ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुटाए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश के सात हजार पेट्रोल पंपों पर वेपर रिकवरी सिस्टम नहीं लगाए जा सके हैं। इसका असर आम जिंदगी पर तेजी से हो रहा है। लोगों की जान से खिलवाड़ करने को लेकर याचिकाकर्ता ने पेट्रोल पंप संचालक और सरकार दोनों पर सवाल उठाए हैं।

सरकार से जवाब तलब, 25 को सुनवाई
देश की तीनों ऑयल कंपनियों बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम), एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम) और आइओसीएल (इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने उत्तर प्रदेश में नौ हजार नए पेट्रोल पंपों के लिए आवेदन मांगे हैं। कानपुर, उप्र की समाजसेवी संस्था सक्षम फाउंडेशन चैरिटेबल सोसाइटी ने लखनऊ बैंच में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में तीनों कंपनियों के सात हजार पेट्रोल पंप हैं और आज तक सीपीसीबी के आदेश का पालन नहीं हुआ।

ऐसे में नौ हजार नए पेट्रोल पंप पर वेपर रिकवरी सिस्टम कैसे लगाए जाएंगे। संस्था के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने बताया कि लखनऊ हाईकोर्ट के न्यायाधीश शबीबुल हसनैन और न्यायाधीश आलोक माथुर की दो सदस्यीय खंडपीठ ने 11 जनवरी 2018 को इस मामले पर सुनवाई की थी। खंडपीठ ने इस पर सरकार से जवाब मांगा है। 25 जनवरी को इस पर फिर सुनवाई होनी है।

इसलिए जरूरी वेपर रिकवरी सिस्टम
पेट्रोल पंप पर नोजल से जब वाहनों में पेट्रोल या डीजल डाला जाता है, तब इस दौरान कुछ वाष्प (वेपर) भी बाहर निकलती है, जिसे वीओसी (वालेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड) कहते हैं। पेट्रोलियम उत्पाद में बेंजीन, टालुईन और जाइलीन (बीटीएक्स) का मिश्रण होता है, जो वातावरण को अत्यधिक विषैला बना देता है। जब पेट्रोल पंप पर हम सांस लेते हैं तो ये विषैले तत्व सांसों के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वेपर रिकवरी सिस्टम हवा में सीधे घुलने वाली इन गैसों को सोख लेता है और वातावरण को सुरक्षित रखता है।

बीटीएक्स से बढ़ रहीं ये बीमारियां
हवा में घुली बीटीएक्स के हमारे शरीर में जाने से बोनमैरो को क्षति पहुंचती है। डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म होने लगती है। त्वरित प्रभाव के रूप में दिल की धड़कन अनियंत्रित होना, सिरदर्द, चक्कर, मितली और अचेतना जैसे लक्षण सामने आते हैं।

यह दलीलें बनीं याचिका का आधार संविधान के अनुच्छेद 21 में देश के प्रत्येक नागरिक को स्वस्थ वातावरण का अधिकार दिया गया है। इसके तहत सभी को स्वस्थ वातावरण मिलना चाहिए। नीति निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 47 के तहत जनस्वास्थ्य, जीवन का स्तर और पोषक तत्वों का स्तर बेहतर करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। मूलभूत कर्तव्य की धारा 51-ए(जी) में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी कि वह प्रकृति और वातावरण को सुरक्षित और बेहतर करे।

विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में कानपुर और लखनऊ हैं। ऐसे में सीपीसीबी के आदेश का पालन न होना गंभीर विषय है। सीपीसीबी ने बीपीसीएल, आइओसीएल और एचपीसीएल पर एक-एक करोड़ का जुर्माना भी लगाया। इन्हीं आधारों पर याचिका दाखिल की गई है।
- अनघ मिश्र, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, हाईकोर्ट लखनऊ

सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इसे लेकर सख्त है। वेपर रिकवरी सिस्टम न लगाने वाली तीनों ऑयल कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया गया है।
- एसके गुप्ता, रीजनल डायरेक्टर, सीपीसीबी

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