नक्सलियों में इंस्पेक्टर लक्ष्मण का खौफ, 100 से अधिक मुठभेड़ों में कर चुके हैं 41 एनकाउंटर

छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात जांबाज इंस्पेक्टर की बहादुरी और देशभक्ति हर पुलिस अफसर के लिए गर्व की बात।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 09:27 AM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 02:13 PM (IST)
नक्सलियों में इंस्पेक्टर लक्ष्मण का खौफ, 100 से अधिक मुठभेड़ों में कर चुके हैं 41 एनकाउंटर
नक्सलियों में इंस्पेक्टर लक्ष्मण का खौफ, 100 से अधिक मुठभेड़ों में कर चुके हैं 41 एनकाउंटर

प्रकाश वर्मा, राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात इंस्पेक्टर लक्ष्मण केवट नक्सलियों के लिए खौफ का सबब बन चुके हैं। 100 से अधिक मुठभेडों में कुशल नेतृत्व और 41 एनकाउंटर कर चुके इस जांबाज की बहादुरी के ढेरों किस्से हैं, जिन्हें पुलिस विभाग के अफसर भी गर्व से सुनाते हैं। उन्होंने जिन नक्सलियों को ढेर किया, उनमें से कई लाखों रुपये के इनामी और खूंखार थे। कहा जाता है कि लक्ष्मण के नाम से भी अब नक्सली खौफ खाते हैं।

लक्ष्मण की बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें चार बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मिल चुका है। वर्तमान में राजनांदगांव जिले के अंतर्गत धुर नक्सल प्रभावित इलाका गातापार जंगल थाने में बतौर टीआइ तैनात लक्ष्मण का संकल्प नक्सलवाद को खत्म करने के लिए जिंदगी की आखिरी सांस तक डटे रहना है। लक्ष्मण केवट की पहली पोस्टिंग वर्ष 2007 में हेड कांस्टेबल के रूप में सूरजपुर में हुई थी।

पांच साल बाद बतौर सब इंस्पेक्टर उनका तबादला धुर नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर में हो गया। यहीं से उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ जंग शुरू की। लगातार हुई मुठभेड़ों में 19 नक्सलियों का एनकाउंटर करने के बाद लक्ष्मण छत्तीसगढ़ में र्सुिखयों में आ गए। उनकी बहादुरी से प्रभावित होकर विभाग ने वर्ष 2014 में पदोन्नत कर निरीक्षक बना दिया। खास बात यह है कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए ज्यादातर ऑपरेशनों की कमान उन्होंने खुद संभाली है। रणनीति भी खुद तैयार करते हैं। वह कहते हैं कि मरना तो सभी को एक दिन है, फिर डरना क्यों। देश के लिए मर मिटने का जज्बा हर किसी में होना चाहिए।

लक्ष्मण बीजापुर जिले में हुईं 19 मुठभेड़ों में 28 और राजनांदगांव जिले की छह मुठभेड़ों में 13 हार्डकोर नक्सलियों को ढेर कर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनकर उभरे। राजनांदगांव जिले के गातापार जंगल थाने में पदस्थ रहते हुए उन्होंने साल्हेकसा-दरेकसा क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों के टांडा दलम की कमर ही तोड़ दी। दलम की

सचिव और डीवीसी कमांडर जमुना और सरिता को ढेर करने के साथ ही उन्होंने हार्डकोर नक्सली पहाड़ सिंह को भी गिरफ्तार किया था। इन पर एक करोड़ रुपये से भी अधिक का इनाम घोषित था।

इनको किया ढेर: आठ अगस्त, 2014 को बीजापुर जिले के जांगला थाने के पोटेनर-टिटोपारा जंगल में हुई मुठभेड़ में उन्होंने खूंखार रोनी उर्फ गोरी पुनेम और मड़काम रामबती, 16 जुलाई, 2016 को बीजापुर के उसुर थाना क्षेत्र के ग्राम पाउरगुड़ा जंगल में अन्य खूंखार नक्सली आयता मुचकी, लच्छा मड़काम और माडवी हुंडा, 19 मार्च, 2019 को राजनांदगांव के गातापार थाना के भावे जंगल में जमुना उर्फ सागेन बाई, तीन अगस्त, 2019 को राजनांदगांव के बाघनदी थाना के सीतागोटा-शेरपार जंगल में सुखदेव उर्फ लक्ष्मण, परमिला बाई, मीना माडवी और रितेश उर्फ हितेश को मार गिराया।

हर कोई करता है बहादुरी को सलाम: लक्ष्मण बेहद सतर्कता, चतुराई और कुशलता से अपनी टीम का नेतृत्व करते। मोर्चा लेते समय उनकी बहादुरी और सूझबूझ शत्रु पर भारी पड़ जाती है। छत्तीसगढ़ में तैनात हर सुरक्षाकर्मी, जो नक्सल मोर्चे पर डटा हुआ है, लक्ष्मण को प्रेरणास्नोत मानता है और उनकी बहादुरी को सलाम करता है।

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