भारतीय महिलाओं पर भारी पड़ा कोविड लॉकडाउन, हेल्दी भोजन के लिए जूझना पड़ा : अध्ययन

इकोनोमिया पोलिटिका पत्रिका में प्रकाशित शोध में यह पता चला है कि देश में लगे लॉकडाउन के कारण कृषि आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई परिणाम स्वरूप भारतीय महिलाओं को हेल्दी भोजन के लिए जूझना पड़ा एवं महिलाओं के पोषण पर इसका दुष्प्रभाव पड़ा।

By Ashisha SinghEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 04:54 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 05:04 PM (IST)
भारतीय महिलाओं पर भारी पड़ा कोविड  लॉकडाउन, हेल्दी भोजन के लिए जूझना पड़ा : अध्ययन
भारतीय महिलाओं पर भारी पड़ा कोविड 19 लोकडाउन हेल्दी भोजन के लिए जूझना पड़ा अध्ययन

नयी दिल्ली, पीटीआइ।‌ पिछले साल 24 मार्च 2020 में वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण भारत में लॉकडाउन लगाया गया था। इकोनोमिया पोलिटिका पत्रिका में प्रकाशित शोध में यह पता चला है कि देश में लगी तालाबंदी के कारण कृषि आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई, परिणाम स्वरूप भारतीय महिलाओं को हेल्दी भोजन के लिए जूझना पड़ा एवं महिलाओं के पोषण पर इसका दुष्प्रभाव पड़ा।

क्या कहता है अध्ययन

वैश्विक महामारी कोविड-19 की मार पूरे देश ने झेली है। क्या आपको पता है कोविड-19 से बचाव के लिए संपूर्ण देश में लगाई गई तालाबंदी के कारण महिलाओं के पोषण पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है? जी हां इकोनोमिया पोलिटिका पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि महिलाओं द्वारा उपभोग की गई आवश्यक आहार सामग्री 2019 की तुलना में घट गई है। जिसका सीधा असर महिलाओं के पोषण पर पड़ा है।

हालांकि आपको बता दें, संपूर्ण देश में लगे लॉकडाउन के बावजूद खाने पीने की  गतिविधियों को लेकर लॉकडाउन में छूट दी गई थी। नई दिल्ली के टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (टीसीआई), के शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं के पोषण में यह गिरावट मीट, अंडे, सब्जियों और फलों जैसे खाद्य पदार्थों की खपत में कमी के कारण हुई, और यह खाद पदार्थ ऐसे हैं जिनमें ढेरों पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिससे अच्छा स्वास्थ्य और विकास होता है।

क्या कहना है टीसीआई की शोध अर्थशास्त्री सौम्या गुप्ता का

टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (टीसीआई), के एक शोध अर्थशास्त्री सौम्या गुप्ता ने कहा, 'महामारी से पहले भी महिलाओं के आहार में विविध खाद्य पदार्थों की कमी थी, लेकिन कोविड ​​​​-19 ने स्थिति को और बढ़ा दिया है।' अर्थशास्त्री सौम्या गुप्ता ने कहा, 'पोषक तत्वों पर महामारी के प्रभाव को संबोधित करने वाली कोई भी नीति एक लिंग के लेंस के माध्यम से ऐसा करना चाहिए जो महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली विशिष्ट, और अक्सर लगातार, कमजोरियों को दर्शाता है।'

टीसीआई द्वारा किए गए सर्वे में पता चला

टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (टीसीआई) के निदेशक प्रभु पिंगली, मैथ्यू अब्राहम, सहायक निदेशक और सलाहकार पायल सेठ सहित शोधकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा राज्यों में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर खान- पान, आहार प्रणाली और अन्य पोषण संकेतकों से संबंधित सर्वे किया। सर्वे में उन्होंने पाया कि तालाबंदी के दौरान आंगनवाड़ी केंद्रों के बंद होने के कारण भी महिलाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन से पता चलता है कि अविकसित क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों की पहुंच और उपलब्धता की कमी से महिलाओं द्वारा खाए जाने वाले पौष्टिक खाद्य पदार्थों की मात्रा और गुणवत्ता में कमी आई है। सर्वेक्षण में शामिल 155 परिवारों के आंकड़ों से पता चला है कि महामारी के दौरान 72 प्रतिशत पात्र परिवारों की आंगनवाड़ी सेवाओं तक पहुंच नहीं रही।

अध्ययन में एक और बात सामने आएगी वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण लगाई गई तालाबंदी में कृषि खाद्य पदार्थों में व्यवधान पड़ने के कारण कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आया पौष्टिक आहार की गिरावट में यह भी एक अहम कारण है।

उदाहरण के लिए, कुछ महिलाओं ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने दाल, या लाल दाल की मात्रा आधी कर दी, जो उन्होंने तैयार की या कि उन्होंने लॉकडाउन में पतली दाल का सेवन कर गुजारा किया गुप्ता ने कहा, 'महिलाओं की आहार विविधता में गिरावट, खपत की मात्रा में संभावित कमी के साथ महामारी से पहले की तुलना में सूक्ष्म पोषक कुपोषण के लिए अधिक जोखिम की ओर इशारा करती है।' सर्वे के दौरान लगभग 90 प्रतिशत सर्वेक्षण उत्तरदाताओं ने कम भोजन होने की सूचना दी, जबकि 95 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने कम प्रकार के भोजन का सेवन किया। 

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