Indian Railways: जानें कैसे 1120 ट्रेनों से पॉवर कार कोच हटाकर सालाना 2300 करोड़ बचा रहा रेलवे
अब तक 1120 ट्रेनों से पॉवर कार कोच हटा दिए हैं। ये पॉवर कार कोच ट्रेन के यात्री बोगियों के लिए बिजली बनाने का काम करते थे किंतु अब पूरी ट्रेन के लिए ओवर हेड इलेक्टि्रक (ओएचई) लाइन से बिजली ली जा रही है।
हरिचरण यादव, भोपाल। रेलवे अब ट्रेन में लगने वाले डीजल पॉवर कार कोच को हटा रहा है। अब तक 1120 ट्रेनों से पॉवर कार कोच हटा दिए हैं। ये पॉवर कार कोच ट्रेन के यात्री बोगियों के लिए बिजली बनाने का काम करते थे, किंतु अब पूरी ट्रेन के लिए ओवर हेड इलेक्टि्रक (ओएचई) लाइन से बिजली ली जा रही है। इसके लिए इंजनों को आत्मनिर्भर बनाया है। अब तक इंजन खुद के उपयोग के लिए ओएचई से बिजली लेते थे, अब वे यात्री बोगियों में एसी, पंखे और लाइट जलाने के लिए भी बिजली लेने लगे हैं। इसके लिए इंजनों में मामूली बदलाव करना पड़ा है। इसका लाभ यह हो रहा है कि रेलवे को सालाना 2300 करोड़ रुपये की बचत होने लगी है। पॉवर कार कोच हटने से पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिल रही है।
डब्ल्यूसीआर ने 23 ट्रेनों से हटाए पॉवर कार
अकेले पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) का ही उदाहरण लें तो यहां 23 ट्रेनों से पॉवर कार कोच हटा दिए गए हैं। इन कोचों को हटाने से रेलवे को हर साल 11 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
63 इंजनों में किया बदलाव
डब्ल्यूसीआर में 700 से अधिक इंजन है। इनमें से 63 इंजनों में बदलाव कर लिया है। ये ओएचई से खुद के उपयोग के साथ-साथ यात्री डिब्बों के उपयोग के लिए भी बिजली ले रहे हैं। इनमें से आधे इंजन मालगाड़ी और बाकी के इंजन यात्री ट्रेनों में उपयोग किए जा रहे हैं। आने वाले दो महीने में और भी ट्रेनों से पॉवर कार कोच हटाए जाएंगे।
160 नए रैक किए जा रहे तैयार
रेलवे 160 नए रैकों को तैयार कर रहा है जिन्हें बगैर पॉवर कार कोच के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। ये जल्द ही भारतीय रेलवे में शामिल किए जाएंगे। इन्हें जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) के तकनीकी सहयोग से बनाया जा रहा है।
ये फायदे भी होंगे
-एक ट्रेन में दो पॉवर कार कोच लगते हैं। एक इंजन के पीछे व दूसरा सबसे अंत में लगा होता है। इस तरह 24 कोच वाली एक ट्रेन में दो कोच तो पॉवर कार वाले ही हो जाते थे जिनमें यात्री नहीं बैठ पाते थे। जिन ट्रेनों से पॉवर कार कोच हटाएं हैं, उनमें नए तरह के बिजली आधारित पॉवर कार कोच लगाए जा रहे हैं, जिसमें गार्ड का कैबिन होता है और दिव्यांग यात्रियों के लिए बैठने के लिए बर्थ होती हैं। इस तरह एक ट्रेन में अलग से लगने वाले गार्ड डिब्बा और पॉवर कार कोच हटने से यात्री कोचों की संख्या बढ़ रही है। इससे यात्रियों को अतिरिक्त बर्थ मिलेंगी।
पश्चिम मध्य रेलवे ने 63 इंजनों को हेडऑन जनरेशन (एचओजी) इंजन में बदल दिया है। 23 ट्रेनों से पॉवर कार हटा दिए हैं। जोन को हर साल 11 करोड़ रपये की बचत हो रही है।
- राहुल जयपुरिया, मुख्य प्रवक्ता, पश्चिम मध्य रेलवे