जिरीबाम-इंफाल परियोजना : मणिपुर में बनाया जा रहा दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, जानें-इसके बारे में

रतीय रेलवे मणिपुर में दुनिया का सबसे ऊंचे पुल घाट का निर्माण कर रहा है जो 111 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल रेलवे परियोजना का एक हिस्सा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना मणिपुर की राजधानी को देश के ब्राड गेज नेटवर्क से जोड़ेगी।

By TaniskEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 04:52 AM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 04:52 AM (IST)
जिरीबाम-इंफाल परियोजना : मणिपुर में बनाया जा रहा दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, जानें-इसके बारे में
मणिपुर में बनाया जा रहा दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज। (फोटो- एएनआइ)

इंफाल,एएनआइ। भारतीय रेलवे मणिपुर में दुनिया का सबसे ऊंचे पुल घाट का निर्माण कर रहा है, जो 111 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल रेलवे परियोजना का एक हिस्सा है। रेलवे की यह महत्वाकांक्षी परियोजना मणिपुर की राजधानी को देश के ब्राड गेज नेटवर्क से जोड़गी। 141 मीटर की ऊंचाई पर बनाया जा रहा पुल, यूरोप में मोंटेनेग्रो के माला-रिजेका वायडक्ट (139 मीटर) के मौजूदा रिकार्ड को तोड़ देगा।

परियोजना के मुख्य अभियंता संदीप शर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि परियोजना के पूरा होने के साथ, 111 किमी की दूरी 2-2.5 घंटे में तय की जाएगी। वर्तमान में जिरीबाम-इंफाल (NH-37) के बीच की दूरी 220 किमी है, जिसमें यात्रा करने में लगभग 10-12 घंटे लगते है। निर्माण के बाद नोनी घाटी को पार करने वाला पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पुल बन जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि पुल पर काम दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा।

संदीप ने आगे कहा कि पहला चरण जो 12 किमी तक फैला है, पहले ही चालू हो चुका है। दूसरे चरण में करीब 98 फीसदी काम पूरा हो चुका है और फरवरी 2022 तक यह बनकर तैयार हो जाएगा। तीसरा चरण खोंगसांग से तुपुल तक नवंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा। टुपुल से इंफाल घाटी तक फैले पुल का चौथा और आखिरी चरण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। 

अधिकारी ने यह भी बताया कि 111 किलोमीटर लंबी इस परियोजना में 61 फीसद सुरंगें हैं। मुख्य अभियंता के अनुसार पुल की कुल अनुमानित लागत 374 करोड़ रुपये है। पुल के निर्माण में आने वाली बाधाओं के बारे में बोलते हुए शर्मा ने कहा कि मानसून के दौरान अक्सर एनएच-37 पर भूस्खलन होता है, जो इस जगह का एकमात्र मार्ग है। अप्रैल से अक्टूबर तक, यहां अत्यधिक वर्षा होती है। उस समय यहां काम करना मुश्किल होता है। उग्रवाद से जुड़ी कुछ समस्याएं भी होती हैं, जो कभी-कभी समस्या खड़ी कर देती हैं।

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