सबके सामने आएगा भारत के युद्धों का इतिहास, युद्ध और सैन्य अभियानों से जुड़ी नई नीति को सरकार ने दी मंजूरी

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा युद्ध इतिहास के समय पर प्रकाशन से लोगों को घटना का सही विवरण उपलब्ध होगा। शैक्षिक अनुसंधान के लिए प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध होगी और इससे अनावश्यक अफवाहों को दूर करने में मदद मिलेगी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 08:18 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 08:30 PM (IST)
सबके सामने आएगा भारत के युद्धों का इतिहास, युद्ध और सैन्य अभियानों से जुड़ी नई नीति को सरकार ने दी मंजूरी
शैक्षिक अनुसंधान के लिए उपलब्ध होगी प्रामाणिक सामग्री

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत द्वारा अब तक लड़े गए कई युद्धों और सैन्य अभियानों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसको लेकर पहल की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युद्ध और अभियानों से जुड़े इतिहास को आर्काइव करने, उन्हें गोपनीयता सूची से हटाने और उनके संग्रह से जुड़ी नीति को शनिवार को मंजूरी दे दी।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, युद्ध इतिहास के समय पर प्रकाशन से लोगों को घटना का सही विवरण उपलब्ध होगा। शैक्षिक अनुसंधान के लिए प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध होगी और इससे अनावश्यक अफवाहों को दूर करने में मदद मिलेगी।

इस नीति के दायरे में रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सभी प्रतिष्ठान मसलन सेना की तीनों शाखाएं (थल-जल-वायु), इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ, असम राइफल्स और भारतीय तटरक्षक आएंगे। वार डायरीज (युद्ध के दौरान घटित घटनाओं का विस्तृत ब्योरा), लेटर्स आफ प्रोसिडिंग्स (विभिन्न प्रतिष्ठानों के बीच अभियान/युद्ध संबंधी आपसी संवाद) और आपरेशनल रिकार्ड बुक (अभियान की पूरी जानकारी) सहित सभी सूचनाएं रक्षा मंत्रालय के इतिहास विभाग को मुहैया कराई जाएंगी। रक्षा मंत्रालय इन्हें सुरक्षित रखेगा, उनका संग्रह करेगा और इतिहास लिखेगा। रिकार्ड को सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी पब्लिक रिकार्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रिकार्ड रूल्स 1997 के तहत संबंधित संगठनों की होगी।

नीति के अनुसार, सामान्य तौर पर रिकार्ड को 25 साल के बाद सार्वजनिक किया जाना चाहिए। रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि युद्ध/अभियान इतिहास के संग्रह के बाद 25 साल या उससे पुराने रिकार्ड की संग्रह विशेषज्ञों द्वारा जांच कराए जाने के बाद उसे राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दिया जाना चाहिए। बयान में कहा गया है कि युद्ध और अभियान के इतिहास के प्रकाशन के लिए विभिन्न विभागों से उसके संग्रह और मंजूरी की जिम्मेदारी इतिहास विभाग की होगी।

सैन्य इतिहासकारों को भी समिति में किया जाएगा शामिल

-रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जाएगा।

-इसमें तीनों सेनाओं, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अन्य प्रतिष्ठानों और जरूरत पड़ने पर प्रतिष्ठित सैन्य इतिहासकारों को शामिल किया जाएगा।

-समिति युद्ध और अभियान इतिहास का संग्रह करेगी। नीति के तहत युद्ध इतिहास के संग्रह और प्रकाशन के लिए स्पष्ट समय सीमा निर्धारित की जाएगी।

-युद्ध या अभियान पूरा होने के दो साल के भीतर समिति के गठन की बात कही गई है।

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