सोमालिया में फंसे 33 भारतीयों की वापसी के लिए जयशंकर ने जताया आश्वासन

विदेश मंत्री जयशंकर ने भरोसा जताया है कि वह सोमालिया में फंसे 33 भारतीय को स्वदेश लाने के लिए कार्य कर रहे हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश के 25 श्रमिकों सहित तैंतीस भारतीय मजदूरों को सोमालिया की एक कंपनी ने पिछले आठ महीनों से बंधक बनाया हुआ है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:15 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 12:15 PM (IST)
सोमालिया में फंसे 33 भारतीयों की वापसी के लिए जयशंकर ने जताया आश्वासन
सोमालिया में फंसे 33 भारतीयों की वापसी के लिए जयशंकर ने जताया आश्वासन ।

नई दिल्ली, एएनआइ। विदेश मंत्री जयशंकर इस वक्त सोमालिया में फंसे 33 भारतीयों की वापसी के लिए कार्य कर रहे हैं। खुद उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि नैरोबी में उच्चायोग ने सोमालियाई अधिकारी इस संदर्भ में कार्य कर रहे हैं। शुक्रवार को मंत्री ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के 25 श्रमिकों सहित तैंतीस भारतीय मजदूरों को सोमालिया की एक कंपनी ने पिछले आठ महीनों से कथित तौर पर बंधक बना रखा है। जहां पर वह 10 महीने पहले शामिल हुए थे। 

10 महीने से मजदूरों को नहीं मिला वेतन

विदेश मंत्री ने बताया कि 10 महीने पहले जब श्रर्मिकों ने वह कंपनी ज्वाइन की थी तो उस दौरान कंपनी की तरफ से उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया, लेकिन पिछले 10 महीने से मजदूरों को उनका वेतन नहीं दिया गया है। जयशंकर ने बताया कि उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि सरकार भारत में सोमाली दूतावास के भी संपर्क में हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा था कि भारत और चीन सीमा गतिरोध को हल करने के लिए वार्ता कर रहे हैं। इस पर पहले से अनुमान नहीं लगाना चाहता। वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित 'ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम' में चीन से वार्ता के नतीजों के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने यह बात कही। 

सम्मेलन के दौरान सीमा की स्पष्ट स्थिति के सवाल पर उन्होंने कहा, 'वार्ता चल रही है और यह दोनों देशों के बीच की गोपनीय बात है। मैं सार्वजनिक रूप से बहुत ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं। मैं निश्चित रूप से इसके लिए पहले से कोई अनुमान नहीं लगाना चाहता हूं।'

तिब्बत की स्थिति के साथ-साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के घटनाक्रम पर जयशंकर ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि हमें अन्य मुद्दों पर विचार करना चाहिए, जिनका स्पष्ट रूप से लद्दाख में वर्तमान स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है। सीमा पर शांति बनाए रखने को लेकर 1993 से अब तक कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हुआ। पिछले 30 वर्षों से हमने सीमा पर शांति आधारित संबंध बनाए हैं।' उन्होंने कहा कि शांति के माहौल को सुनिश्चित नहीं किया गया और जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे उनका पालन नहीं किया गया। यही तनाव की असली वजह है। 

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