भारत-अमेरिका वार्ता 27 अक्टूबर को, संयुक्त बयान में चीन को दिया जाएगा कड़ा संदेश

27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री व रक्षा मंत्री की अगुवाई में होने वाली वार्ता में भारत व चीन के बीच एलएसी पर चल रहा सैन्य विवाद एक अहम मुद्दा होगा। वार्ता में भारत की सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे प्रमुखता से उठेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 08:31 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 08:31 PM (IST)
भारत-अमेरिका वार्ता 27 अक्टूबर को, संयुक्त बयान में चीन को दिया जाएगा कड़ा संदेश
वार्ता में भारत व चीन के बीच एलएसी पर चल रहा सैन्य विवाद एक अहम मुद्दा होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले मंगलवार (27 अक्टूबर) को भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री व रक्षा मंत्री की अगुवाई में होने वाली टू प्लस टू वार्ता में भारत व चीन के बीच एलएसी पर चल रहा सैन्य विवाद एक अहम मुद्दा होगा। यह पहला मौका होगा जब भारत व अमेरिका के बीच होने वाली वार्ता में भारत की सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे प्रमुखता से उठेंगे। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले पांच महीने से जो स्थिति है उसको लेकर अमेरिका पहले भी अपनी चिंता जता चुका है। टू प्लस टू वार्ता के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान के जरिए भी चीन को संदेश दिए जाने की संभावना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में चीन विरोधी भावनाएं उफान पर हैं

जानकारों की मानें तो टू प्लस टू वार्ता के ठीक एक हफ्ते बाद अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है, ऐसे में संयुक्त बयान में चीन की विस्तारवादी नीतियों का परोक्ष तौर पर जिक्र किया जा सकता है। वैसे भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में चीन विरोधी भावनाएं उफान पर हैं। विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर का रवैया चीन को लेकर खासा तल्ख है। पोम्पिओ ने हाल ही में कहा था कि, भारत चीन की विस्तारवादी नीतियों से काफी परेशान है।

भारत-अमेरिका वार्ता में एलएसी रहेगा प्रमुख मुद्दा

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारत-अमेरिका वार्ता के बारे में शुक्रवार को कहा कि नियंत्रण रेखा की स्थिति को लेकर निश्चित तौर पर बातचीत होगी। हम लगातार हालात पर नजर बनाये हुए हैं। हमें लगता है कि दोनो तरफ से हालात को तनाव घटाने की कोशिश हो रही है। भारतीय पक्ष ने भी इस बात के संकेत दिये हैं कि सभी द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर भी विस्तार से विमर्श किया जाएगा।

दूसरा अहम बिंदू समुद्री क्षेत्र में सामरिक सहयोग को बढ़ाना है

टू प्लस टू वार्ता के तहत दूसरा सबसे अहम बिंदू समुद्री क्षेत्र में सामरिक सहयोग को बढ़ाना है। दिसंबर, 2019 में दूसरी टू प्लस टू वार्ता में भारतीय नौ सेना और अमेरिकी नेवी की यूएस इंडो पैसिफिक कमांड, सेंट्रल कमांड और अफ्रीका कमांड के बीच सहयोग के रोडमैप को मंजूरी दी गई थी और कहा गया था कि इसी तरह का सहयोग वायु सेना व थल सेना के बीच भी स्थापित किया जाएगा। माना जा रहा है कि दोनो पक्षों के बीच इस बारे में सहमति बन जाएगी और इसकी घोषणा की जाएगी।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर होगी भारत-अमेरिका के बीच अहम वार्ता

कहने की जरूरत नहीं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर भी संयुक्त घोषणा में काफी अहम संकेत होगा। पिछले वर्ष की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में इस मुद्दे को खासा स्थान दिया गया था। इसमें कहा गया था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र व इसके बाहर शांति व संपन्नता के लिए भारत व अमेरिका के बीच करीबी सहयोग बेहद जरूरी है।

नौ सेना के बीच होने वाले सैन्य अभ्यास से जुड़े मुद्दों पर भी होगी वार्ता

इसके अलावा अगले महीने जापान-अमेरिका-भारत-आस्ट्रेलिया की नौ सेना के बीच होने वाले सैन्य अभ्यास से जुड़े कुछ मुद्दों पर भी बात होगी। पिछली बार हिंद-प्रशांत व दक्षिण एशिया में कनेक्टिविटी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की सहमति बनी थी। देखना होगा कि इस संदर्भ में किसी खास चिन्हित परियोजना का ऐलान होता है या नहीं।

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