भारत का सैटेलाइट नेविगेशन विकास के ऊंचे पायदान छूने की तैयारी में जुटा, जानें किन क्षेत्रों में होगा उपयोग

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम अंतरिक्ष आधारित नेविगेशन सिस्टम हैं जो दुनिया भर में नेविगेशन सिग्नल प्रदान करते हैं। वर्तमान में चार जीएनएसएस हैं- जैसे अमेरिका से जीपीएस रूस से ग्लोनास यूरोपीय संघ से गैलीलियो और चीन से बेईदो विश्व स्तर पर पीवीटी समाधान देता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:15 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:21 PM (IST)
भारत का सैटेलाइट नेविगेशन विकास के ऊंचे पायदान छूने की तैयारी में जुटा, जानें किन क्षेत्रों में होगा उपयोग
भारत का उपग्रह आधारित नेविगेशन और वृद्धि सेवा क्षेत्र को विकास

बेंगलुरु, प्रेट्र। भारत का उपग्रह आधारित नेविगेशन और वृद्धि सेवा क्षेत्र को विकास के ऊंचे पायदान तक पहुंचने की तैयारियों में जुटा है। इसके प्रभावी विकास, संचालन और रखरखाव के लिए एक नीतिगत प्रस्ताव लाया जाएगा। अंतरिक्ष विभाग (जीओएस) सैटेलाइट आधारित नेविगेशन के लिए एक 'व्यापक और मूल' राष्ट्रीय नीति तैयार करने की योजना बना रहा है। इसे 'भारतीय उपग्रह नेविगेशन नीति 2021 (सैटनैव नीति- 2021) का भी नाम दिया गया है। इसके मसौदे को अब सार्वजनिक परामर्श के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वेबसाइट पर रखा गया है। इसके बाद इसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा।

जीओएस राष्ट्रीय नीति सैटनैव-2021 तैयार करने की योजना बना रहा

यह उपलब्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने, उपयोग बढ़ाने, सेवाओं के प्रगतिशील विकास की दिशा में काम करने और अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने पर जोर देने के साथ उपग्रह आधारित नेविगेशन और वृद्धि सेवाओं में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना चाहता है।पिछले कुछ दशकों में अंतरिक्ष आधारित नेविगेशन सिस्टम द्वारा प्रदान की जाने वाली स्थिति, वेग और समय (पीवीटी) सेवाओं पर भरोसा करने वाले प्रयोगों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। सूचना व मोबाइल फोन प्रौद्योगिकी के आने के साथ भारत भर में करोड़ों उपयोगकर्ता जीवन के लगभग हर क्षेत्र में पीवीटी आधारित अनुप्रयोगों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

जानें क्या है ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम अंतरिक्ष आधारित नेविगेशन सिस्टम हैं जो दुनिया भर में नेविगेशन सिग्नल प्रदान करते हैं। वर्तमान में, चार जीएनएसएस हैं- जैसे अमेरिका से जीपीएस, रूस से ग्लोनास, यूरोपीय संघ से गैलीलियो और चीन से बेईदो विश्व स्तर पर पीवीटी समाधान देता है। इसके अलावा, दो क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणालियां हैं। इसमें भारत से एनएवीआईसी और जापान से क्यूजेडएसएस परिभाषित कवरेज क्षेत्र के लिए नेविगेशन सिग्नल प्रदान करते हैं।

नेविगेशन सिग्नलों को हवाई, अंतरिक्ष, समुद्री और भूमि अनुप्रयोगों से लेकर ट्रैकिंग, टेलीमैटिक्स, स्थान आधारित सेवाओं (सेल फोन और मोबाइल उपकरणों का उपयोग करके), ऑटोमोटिव, सर्वेक्षण, मैपिंग और जीआइएस और विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए फ्री-टू-एयर की पेशकश की जाती है। जीएनएसएस विशेष रूप से अपने संबंधित देशों के रणनीतिक प्रयोगों के लिए सुरक्षित नेविगेशन सिग्नल भी प्रदान करता है क्योंकि फ्री-टू-एयर सिग्नल विरोधियों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

Chairman, ISRO/Secretary, DOS Dr. K. Sivan had a meeting with the Director General of Israel Space Agency today.

More Details: https://t.co/Jc3LwlumL4 pic.twitter.com/Db9c7AbriF— ISRO (@isro) July 30, 2021

यूरोपीय और इजरायली अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद लेगा इसरो

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यूरोपीय और इजरायली अंतरिक्ष एजेंसियां के साथ मिलकर सहोयग बढ़ाने और साथ काम करने के अवसरों की पहचान करने पर चर्चा की है। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने वर्चुअल बैठक में इजरायली अंतरिक्ष एजेंसी (आइएसए) के महानिदेशक एवी ब्लासबर्ग और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के महानिदेशक जोसेफ शोबैशर से पिछले हफ्ते चर्चा की थी।

Dr. K. Sivan, Chairman, ISRO/ Secretary, Department of Space had a virtual meeting with Dr. Josef Aschbacher, Director General, European Space Agency (ESA) on July 30, 2021.

For details visit: https://t.co/LnmD2YZQfs pic.twitter.com/qyOiLTdPOA— ISRO (@isro) July 30, 2021

सिवन और ब्लासबर्ग ने छोटे उपग्रहों और जीईओ-एलईओ (जियोसिंक्रोनास अर्थ आर्बिट-लो अर्थ आर्बिट) आप्टिकल लिंक के इलेक्टि्रक प्रपलजन सिस्टम में सहयोग की समीक्षा की है। उन्होंने भारतीय लांचर के जरिये इजरायली उपग्रहों को भविष्य में भेजने और भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर इजरायल के साथ कूटनीतिक रिश्तों पर भी चर्चा हुई है।

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