पूर्व एशिया सम्मेलन में भारत का संदेश- दक्षिण चीन सागर शांत रहे, यह सभी के हित में

दक्षिण चीन सागर में स्थितियां सामान्य रहें यह सभी के हित में है। वहां पर जहाजों और विमानों के आवागमन की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के समुद्री यातायात को लेकर बने नियमों समेत सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन होना चाहिए।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 01:21 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 01:21 PM (IST)
पूर्व एशिया सम्मेलन में भारत का संदेश- दक्षिण चीन सागर शांत रहे, यह सभी के हित में
पूर्व एशिया सम्मेलन में भारत का संदेश- दक्षिण चीन सागर शांत रहे, यह सभी के हित में

नई दिल्ली, प्रेट्र। दक्षिण चीन सागर में स्थितियां सामान्य रहें, यह सभी के हित में है। वहां पर जहाजों और विमानों के आवागमन की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के समुद्री यातायात को लेकर बने नियमों समेत सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन होना चाहिए। यह बात पूर्व एशिया सम्मेलन में विदेश सचिव (पूर्व) रीवा गांगुली दास ने कही है। वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस आयोजन में भाग ले रही थीं।

चीन ने दक्षिणी सागर पर 90 फीसद किया कब्जा

यह सम्मेलन तब हो रहा है जब पूरा क्षेत्र दक्षिण चीन सागर पर चीन के कब्जे के खतरे से दो-चार है। पड़ोसी देशों की हिस्सेदारी को दरिकनार करते हुए चीन ने 90 प्रतिशत दक्षिण सागर पर अपना कब्जा घोषित कर दिया है। अपने कब्जे को अमलीजामा पहनाने के लिए उसने द्वीपों पर कब्जा कर लिया है और कृत्रिम द्वीप बनाकर उन पर नौसेना और वायुसेना तैनात कर दी है। अब वह समुद्र की नाकेबंदी कर वहां से व्यापारिक जहाजों के आवागमन पर रोक लगाने की रणनीति पर कार्य कर रहा है।

पड़ोसी देशों के खनन और मछली पकड़ने के अभियान में चीन पहुंचा रहा बाधा

पड़ोसी देशों के खनन और मछली पकड़ने के अभियानों को चीन ने बाधित करना भी शुरू कर दिया है। समुद्र के ऊपर से उड़ने वाले विमानों को भी चेतावनी दे रहा है। सम्मेलन में सचिव (पूर्व) ने दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता और आवागमन की स्वतंत्रता बनी रहने की भारत की अपेक्षा का उल्लेख किया। कहा कि वहां पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। कहा कि दक्षिण चीन सागर को लेकर होने वाली चर्चा से किसी को पूर्वाग्रह पालने की जरूरत नहीं है।

सम्मेलन में इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा

भारत तीसरा पक्ष होने के बावजूद वहां पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन चाहता है। सम्मेलन में शामिल देशों के राजनयिकों ने कोविड-19 महामारी, म्यांमार के हालात, आतंकवाद समेत कई अंतरराष्ट्रीय मसलों पर भी चर्चा की। पूर्व एशिया सम्मेलन में दस आसियान देशों के अतिरिक्त अमेरिका, रूस, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।

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