मालदीव के लिए 50 करोड़ का पैकेज, भारत ने पड़ोसी के लिए खोला दिल और खजाना
भारत की तरफ से अभी 50 करोड़ डॉलर की लागत की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसमें 40 करोड़ डॉलर की राशि सस्ते कर्ज के तौर पर और 10 करोड़ृ डॉलर की राशि अनुदान के तौर पर दी जाएगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना काल में भारत ने अपने पड़ोसी देशों को मदद करने के लिए दिल और खजाना खोल दिया है। गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और मालदीव के विदेश मंत्री अबदुल्लाह शाहिद के बीच वर्चुअल बैठक में भारत की मदद से वहां शुरू कई जाने वाली परियोजनाओं को लेकर लंबा विमर्श हुआ। भारत की तरफ से अभी 50 करोड़ डॉलर की लागत की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसमें 40 करोड़ डॉलर की राशि सस्ते कर्ज के तौर पर और 10 करोड़ृ डॉलर की राशि अनुदान के तौर पर दी जाएगी। इस मदद से राजधानी माले को आप पास की तीन द्वीपों को बेहतरीन सड़क मार्ग से जोड़ने की परियोजना लागू की जाएगी।
भारत इस मदद के जरिए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को उनकी प्रमुख राजनीतिक मांग को पूरा करने में मदद करेगा। इस परियोजना से वहां के चार द्वीप आपस में जुड़ जाएंगे, जिससे आर्थिक गतिविधियों भी बढ़ेंगी। विदेश मंत्री जयशंकर ने दोनो देशों के बीच सुचारू तौर पर कार्गो सेवाओं को जारी करने का भी ऐलान किया है, जो मालदीव में लोगों को खाने पीने की तमाम चीजों के अलावा हरी सब्जियों व फलों की आपूर्ति के लिए भी अहम होगा।
बता दें कि भारत व मालदीव के बीच एक एयर बबल (हवाई जहाज के आने-जाने के लिए विशेष व्यवस्था) बनाने की भी सहमति बनी है। पड़ोसी देशों के साथ यह पहली व्यवस्था है, जो भारतीय पर्यटकों को मालदीव जाने की राह खोलेगा। इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। इस मार्ग से पहली फ्लाइट 18 अगस्त को होने की संभावना है।
इसके अलावा भारत की मदद से वहां का गुलहीफाहु बंदरगाह का निर्माण किया जाएगा। इस बंदरगाह का निर्माण चीन ने भी करवाने की बात कही थी। यह भी बताते चलें कि भारत की मदद से चार द्वीपों को मिलाने वाला जो परियोजना तैयार की जा रही है वह चीन की मदद से मालदीव में बनाये गये मौजूदा ब्रिज से पांच गुना बड़ा होगा।