केंद्र सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना मरीजों के इलाज से हटाया, जानें क्‍या बताई वजह

केंद्र सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए क्लिनिकल परामर्श (clinical guidance) में संशोधन किया है। सरकार ने सोमवार को मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) के इस्‍तेमाल को नैदानिक प्रबंधन दिशा-निर्देश से हटा दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 11:35 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:08 AM (IST)
केंद्र सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना मरीजों के इलाज से हटाया, जानें क्‍या बताई वजह
केंद्र सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए क्लिनिकल परामर्श (clinical guidance) में संशोधन किया है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ/एएनआइ। केंद्र सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए क्लिनिकल परामर्श (clinical guidance) में संशोधन किया है। सरकार ने सोमवार को मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के इस्‍तेमाल को नैदानिक प्रबंधन दिशा-निर्देश से हटा दिया। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने पाया कि कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी गंभीर बीमारी को दूर करने और मौत के मामलों में कमी लाने में मददगार साबित नहीं हुई है।

AIIMS/ICMR-COVID-19 National Task Force/Joint Monitoring Group, Ministry of Health & Family Welfare, Government of India revised Clinical Guidance for Management of Adult #COVID19 Patients and dropped Convalescent plasma (Off label). pic.twitter.com/Dg1PG5bxGb— ANI (@ANI) May 17, 2021

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के एक के एक अधिकारी ने बताया कि कार्यबल ने क्लीनिकल गाइडेंस फार मैनेजमेंट आफ अडल्ट कोविड-19 पेशेंट्स को संशोधित कर दिया है और उसमें से स्वस्थ हुए व्यक्ति के प्लाज्मा (आफ लेबल) को हटा दिया है। पिछली गाइडलाइंस में मध्यम स्तर की बीमारी के शुरआती दौर में (लक्षण दिखने के सात दिनों के भीतर) प्लाज्मा थेरेपी के 'आफ लेबल' इस्तेमाल की सिफारिश की गई थी।

कोरोना मरीजों के इलाज के लिए गठित राष्ट्रीय कार्य बल के सभी सदस्य आईसीएमआर की पिछले हफ्ते हुई बैठक के दौरान प्लाज्मा थेरेपी को इलाज के दिशा-निर्देश से हटाने पर सहमत हुए थे। इसके बाद सरकार का यह फैसला सामने आया है। अधिकारी ने बताया कि कार्य बल ने व्यस्क कोरोना मरीजों के इलाज संबंधी नैदानिक परामर्श में बदलाव किया और इसमें से प्लाज्मा थेरेपी को हटा दिया।

मालूम हो कि कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने मुख्‍य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन (K VijayRaghavan) को पत्र लिखकर देश में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के इस्‍तेमाल को तर्कहीन और अवैज्ञानिक बताते हुए आगाह किया था। पत्र में आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया को भी संबोधित किया गया था। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों ने आरोप लगाया था कि प्लाज्मा थेरेपी पर मौजूदा दिशानिर्देश सबूतों पर आधारित नहीं हैं। 

वैक्सीनोलॉजिस्ट गगनदीप कांग (Gagandeep Kang), सर्जन प्रमेश सीएस (Pramesh CS) एवं अन्य द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया था कि प्लाज्मा थेरेपी का तर्कहीन इस्‍तेमाल ज्‍यादा खतरनाक विषाणुओं की स्‍ट्रेन के विकसित होने की संभावना को बढ़ाता है। इससे महामारी को बढ़ावा मिल सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा था कि कोरोना रोगियों के इलाज में प्‍लाज्‍मा थेरेपी को रोका जाए क्‍योंकि मौजूदा शोध में कोरोना मरीजों के उपचार में इससे कोई खास लाभ नहीं नजर आया है। 

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