यूएनडीपी की नजर में चढ़ा भारत का आकांक्षी जिला कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र ने बताया मिसाल

यूएनडीपी ने भारत के आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) की सराहना करते हुए उन देशों में इस प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाने की सिफारिश की है जहां विभिन्न कारणों से विकास के कार्यक्रम में क्षेत्रीय असमानता बाधा बनती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 09:30 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:42 PM (IST)
यूएनडीपी की नजर में चढ़ा भारत का आकांक्षी जिला कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र ने बताया मिसाल
यूएनडीपी ने भारत के आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) की सराहना की है!

नई दिल्ली, जेएनएन। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने भारत के आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) की सराहना करते हुए उन देशों में इस प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाने की सिफारिश की है, जहां विभिन्न कारणों से विकास के कार्यक्रम में क्षेत्रीय असमानता बाधा बनती है। वर्ष 2018 में सबका साथ-सबका विकास को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में एडीपी को शुरू किया था।

यूएनडीपी ने पाया कि भारत के जिन जिलों को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया, वहां दूसरे जिलों के मुकाबले स्वास्थ्य एवं पौष्टिकता, शिक्षा, कृषि, पानी के संसाधन, बुनियादी सुविधाएं एवं कौशल विकास में तेज बढ़ोतरी हुई। यूएनडीपी की रिपोर्ट के मुताबिक आकांक्षी जिले (एडी) के रूप में चयनित जिलों में अन्य जिलों के मुकाबले स्वास्थ्य व पौष्टिकता, शिक्षा जैसे क्षेत्र में एक सीमा तक बढ़ोतरी हुई लेकिन कृषि और जल संसाधन के क्षेत्र में एडी में जबरदस्त तरक्की देखी गई।

एडी में अन्य क्षेत्रों में भी तरक्की हुई है, लेकिन अभी उसे और मजबूत करने की गुंजाइश है।यूएनडीपी की रिपोर्ट के मुताबिक एडी के रूप में चयनित जिलों में अन्य जिलों के मुकाबले 5.8 फीसद अधिक एनीमिया से ग्रसित गर्भवती महिला का इलाज किया गया। अन्य जिलों के मुकाबले यहां 4.8 फीसद अधिक बच्चों के डायरिया का इलाज किया गया। वहीं, 9.6 फीसद अधिक बच्चों की डिलीवरी कुशल कर्मचारियों द्वारा की गई।

वित्तीय समावेश के मामले में भी एडी अन्य जिलों से आगे दिखे। रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत इन जिलों में प्रति एक लाख व्यक्ति पर 1580 अधिक खाते खुलवाए गए।

यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में बीजापुर और दंतेवाड़ा में चलाए गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की भी तारीफ की है। जहां मलेरिया में क्रमश: 71 और 54 फीसद की कमी दर्ज की गई। रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में काले चावल के उत्पादन को लेकर किए गए प्रयोग की भी तारीफ की गई है। यहां के काले चावल अब आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में निर्यात किए जा रहे हैं।

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