India China Border News: सैन्य वापसी जटिल प्रक्रिया, यथास्थिति बनाये रखना जरूरी : भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के मुताबिक जब विवाद वाले इलाके से पूरी तरह से सैन्य वापसी के लिए बातचीत की जा रही है तब दोनों पक्षों की तरफ से एलएसी पर किसी भी स्थल पर यथास्थिति बदलने की अपनी तरफ से कोशिश न की जाए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूरी तैयारी व सतर्कता बरतते हुए भारतीय पक्ष चीन के साथ हुई पिछली सैन्य वार्ता के माहौल को लेकर सकारात्मक है। इसके पहले भी दोनो देशों के बीच पांच स्तर की सैन्य वार्ताएं हो चुकी थी लेकिन सोमवार को हुई बैठक के बाद पहली बार संयुक्त बयान जारी किया। एलएसी पर चीनी सैनिकों की तरफ से पिछले दस दिनों से कोई आपत्तिजनक रवैये की भी सूचना नहीं है। ऐसे में दोनो देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच आगामी बैठक की तैयारी चल रही है। यह बैठक सीमा विवाद सुलझाने के लिए की गई विशेष व्यवस्था (डब्लूएमसीसी) के तहत होगी।
पांच महीनों के तनाव के बाद हालात को संभालने की गंभीर कोशिश जारी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के मुताबिक जब विवाद वाले इलाके से पूरी तरह से सैन्य वापसी के लिए बातचीत की जा रही है तब दोनों पक्षों की तरफ से एलएसी पर किसी भी स्थल पर यथास्थिति बदलने की अपनी तरफ से कोशिश न की जाए। यह एलएसी पर अमन व शांति स्थापित करने के लिए बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि भारत व चीन के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत में जो सहमति बनी थी] उसे कार्प कमांडरों ने आगे बढ़ाया।
कार्प कमांडर वार्ता के बाद जल्द होगी विदेश मंत्रालयों के बीच बैठक
यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि कार्प कमांडरों के बीच तकरीबन 50 दिनों के बाद वार्ता हुई थी और पहली बार संयुक्त बयान भी जारी किया गया। यह बताता है कि दोनो पक्ष एलएसी पर सैन्य वापसी को लेकर गंभीर है लेकिन यह एक जटिल मामला है। इसमें दोनो पक्षों को अपने अपने इलाकों से तैनात सैनिकों को वापस बुलाना होगा। जब दोनो पक्ष सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में लगे होंगे तब भी दोनो पक्षों के बीच शांति बनाये रखना सुनिश्चित करना होगा।
पिछली बैठक में कार्प कमांडरों के बीच बहुत ही साफ व पारदर्शी तरीके से वार्ता हुई है ताकि एलएसी पर हालात को तेजी से सामान्य किया जा सके। जमीनी तौर पर संवाद को बनाये रखने व एक दूसरे को लेकर गलत फहमी नहीं बनाने की भी सहमति बनी है। श्रीवास्तव के मुताबिक आगे का रास्ता यही है कि कोई भी पक्ष एलएसी पर हालात को बिगाड़ने की कोशिश नहीं करे।