क्लाइमेट टेक में निवेश के मामले में दुनिया के टॉप-10 देशों में शामिल है भारत, यूरोप सबसे आगे

क्लाइमेट टेक में निवेश के मामले में दुनिया के टाप 10 देशों में शामिल है भारत। 49480 करोड़ का निवेश हुआ था दुनियाभर में 2016 में क्लाइमेट टेक कंपनियों में। 2.42 लाख करोड़ का निवेश हुआ ऐसी कंपनियों में 2021 में।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:29 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:29 AM (IST)
क्लाइमेट टेक में निवेश के मामले में दुनिया के टॉप-10 देशों में शामिल है भारत, यूरोप सबसे आगे
क्लाइमेट टेक में निवेश के मामले में भारत Top-10 देशों में शामिल।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, जेएनएन। जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों से निपटने के लिए दुनियाभर के देश ग्लासगो में बैठक के लिए तैयार हैं। अगले हफ्ते ग्लासगो में कांफ्रेंस आफ पार्टीज की 26वीं सालाना बैठक (सीओपी26) से ठीक पहले इन खतरों से निपटने की दिशा में विभिन्न देशों के प्रयासों को लेकर रिपोर्ट सामने आई है। दिसंबर, 2015 में पेरिस में हुए समझौते के बाद के पांच वर्षों में जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कार्यरत कंपनियों (क्लाइमेट टेक) में निवेश करने वाले टाप 10 देशों में भारत भी शामिल है।

यूरोप की गति सबसे तेज

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने की दिशा में कार्यरत कंपनियों के आधार पर लंदन एंड पार्टनर्स एंड डीलरूम की रिपोर्ट में यूरोप को सबसे आगे पाया गया है। वहां क्लाइमेट टेक कंपनियों में वेंचर कैपिटल निवेश सबसे तेजी से बढ़ा है। 2016 में यूरोप में यह निवेश 8,240 करोड़ रुपये था, जो 2021 में बढ़कर 59,900 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। लंदन को क्लाइमेट टेक के लिहाज से सबसे उन्नत माना गया।

तेजी से हो रहा निवेश

जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए पेरिस में अहम समझौता हुआ था। इसके बाद, 2016 से 2021 के बीच दुनियाभर में क्लाइमेट टेक कंपनियों में वेंचर कैपिटल निवेश तेजी से बढ़ा है।

जलवायु संकट की स्थितियां 17वीं शताब्दी से ही बरकरार : अमिताव घोष

बेहद विपरीत मौसमी परिस्थितियों से जूझती दुनिया में जलवायु परिवर्तन शब्द समकालीन समय में चर्चा का विषय बन गया है। लेखक अमिताव घोष कहते हैं कि संकट 17 वीं शताब्दी से बना हुआ है और इस मुद्दे से निपटने के लिए शुरुआत करने से पहले इतिहास को ध्यान में रखना अनिवार्य है।घोष कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन न सिर्फ भविष्य बल्कि अतीत की भी समस्या है।

उनकी नई किताब 'द नटमेग्स कर्स : पेराबल्स फार ए प्लेनेट इन क्राइसिस' ऐसे समय में आई है जब असामान्य रूप से भारी बारिश ने देश के कई हिस्सों में तबाही मचाई है, विशेष रूप से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और तटीय केरल में। घोष ने न्यूयार्क से एक वीडियो साक्षात्कार में बताया, 'सामान्य तौर पर, जब हम जलवायु संकट या ग्रह पर संकट के बारे में सोचते हैं, तो हम हमेशा भविष्य के संदर्भ में सोचते हैं, हम खुद के पूरी तरह से नए युग में होने के बारे में सोचते हैं। लेकिन वास्तव में, यह युग पूरी तरह से अतीत से जुड़ा है। निरंतरता बेहद स्पष्ट है.. यह 17वीं शताब्दी तक साफ दिखती है।'

chat bot
आपका साथी