चालबाज चीन का रवैया देख भारत ने भी दिखाया कड़ा तेवर, लैंड बाउंड्री कानून को बताया मनमाना और चिंताजनक
भारत और चीन के बीच चल रही वार्ताओं को लेकर संदेह के बादल पहले ही घिरे हुए हैं और अब भारत ने साफ कर दिया है कि सीमा विवाद सुलझाने को लेकर वह चीन के आक्रामक रवैये का उसी भाषा में जवाब देगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच चल रही वार्ताओं को लेकर संदेह के बादल पहले ही घिरे हुए हैं और अब भारत ने साफ कर दिया है कि सीमा विवाद सुलझाने को लेकर वह चीन के आक्रामक रवैये का उसी भाषा में जवाब देगा। पिछले दिनों चीन ने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ी जमीनी सीमाओं की रक्षा के लिए एक कड़ा कानून पारित किया है जिसके मुताबिक उसकी भौगोलिक संप्रभुता अक्षुण्ण है और इससे किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता।
चीन व पाकिस्तान के बीच सीमा समझौते को भारत ने गैरकानूनी करार दिया
इस कानून के अपनी सीमा विवाद पर संभावित असर को देखते हुए भारत ने ना सिर्फ इसे चिंताजनक करार दिया है बल्कि इसे चीन का मनमाना रवैया करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से जारी स्पष्टीकरण में चीन को पाकिस्तान के साथ वर्ष 1963 में किए गए समझौते की याद दिलाते हुए कहा है कि वह समझौता भी पूरी तरह से गैरकानूनी और अवैध है।
चीन का रवैये से दोनों देशों के बीच हुए समझौतों पर पड़ सकता है असर
विदेश मंत्रालय अरिंदम बागची का कहना है कि हमने चीन की तरफ से पारित लैंड बाउंड्री कानून को देखा है। यह कानून बताता है कि चीन दूसरे देशों के साथ भूमि सीमा मामलों पर किए गए समझौतों का पालन करता है। इसके तहत सीमावर्ती इलाकों के जिलों में नए सिरे से सीमा तय करने का भी प्रविधान है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा का अभी तक निर्धारण नहीं हो सका है। दोनों देशों ने सीमा विवाद से जुड़े सवालों का बराबरी और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान की मांग की है। दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अमन व शांति बनाये रखने के लिए कई समझौतों और मसौदों पर भी हस्ताक्षर किये हैं। इस संबंध में चीन की तरफ से मनमाने तरीके से इस तरह का कानून बनाने से हमारे बीच किये गये मौजूदा समझौतों पर असर हो सकता है।
चीन ऐसा कदम न उठाए जिससे सीमा पर हालात और खराब हो
इस तरह के एकतरफा कदमों से सीमा विवाद सुलझाने के लिए या सीमा पर अमन व शांति बनाये रखने के लिए भारत व चीन के बीच पहले से की गई व्यवस्थाओं पर असर पड़ने की आशंका जताते हुए भारत ने उम्मीद जताई है कि चीन इस तरह के कानून के तहत कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगा जिससे भारत चीन सीमा पर हालात और खराब हों।
अंत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि हमारी नजर में इस तरह का कानून वर्ष 1963 में चीन और पाकिस्तान के बीच किए गए सीमा समझौतों की स्थिति भी नहीं बदल सकता। यह समझौता अवैध और गलत है। इस समझौते के तहत पाकिस्तान ने गैर कानूनी तरीके से भारतीय राज्य जम्मू व कश्मीर के एक बड़े हिस्से को चीन के हवाले कर दिया था। बदले में चीन ने उसे कुछ इलाका दिया था।
घरेलू राजनीति में अपनी छवि चमकाने को चिनफिंग का नया पैंतरा
कई विशेषज्ञ चीन की तरफ से उक्त कानून पारित करवाने के समय को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं। अभी चीन का विवाद ना सिर्फ भारत के साथ है बल्कि दूसरे पड़ोसी देश के साथ भी उसका सीमा विवाद चल रहा है। दूसरी तरफ वह सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत के अलावा दूसरे देशों के साथ भी चर्चा कर रहा है। माना जा रहा है कि नया कानून बना कर राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने घरेलू राजनीति में अपनी राष्ट्रवादी छवि और मजबूत करने की कोशिश की है।