कोरोना की दूसरी लहर घातक कम, संक्रामक ज्यादा, मृत्‍यु दर को लेकर जानें क्‍या कहते हैं आंकड़े

Coronavirus new strain कोरोना महामारी की दूसरी लहर पिछले साल सितंबर में सामने आई पहली लहर से कई मायनों में अलग है। पहली लहर संक्रामक के साथ-साथ घातक भी थी लेकिन दूसरी लहर संक्रामक ज्यादा और घातक कम है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 08:25 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 12:37 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर घातक कम, संक्रामक ज्यादा, मृत्‍यु दर को लेकर जानें क्‍या कहते हैं आंकड़े
कोरोना महामारी की दूसरी लहर पिछले साल सितंबर में सामने आई पहली लहर से कई मायनों में अलग है।

नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना महामारी की दूसरी लहर पिछले साल सितंबर में सामने आई पहली लहर से कई मायनों में अलग है। पहली लहर संक्रामक के साथ-साथ घातक भी थी, लेकिन दूसरी लहर संक्रामक ज्यादा और घातक कम है। इसमें संक्रमितों की संख्या तो ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसके अनुपात में मौतें कम हो रही हैं। लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

दूसरी लहर में मौत का अनुपात कम 

समाचार एजेंसी आइएएनएस लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि फरवरी से अप्रैल के बीच दैनिक मामलों के 10 हजार से 80 हजार पहुंचने में 40 दिन से भी कम समय लगा जबकि पिछले साल सितंबर में पहली लहर में 83 दिनों में दैनिक मामलों में इतनी वृद्धि हुई थी। हालांकि, समग्र मामलों की तुलना में मौत का अनुपात (सीएफआर) दूसरी लहर में कम है।

संक्रमण बढ़ने से बढ़ेंगी मौतें 

पिछले साल मार्च में देश में इस वैश्विक महामारी के सामने आने के बाद सीएफआर करीब 1.3 फीसद था, जबकि इस साल संक्रमित होने वाले मरीजों में यह 0.87 फीसद से भी कम है। साफ है दूसरी लहर में कोरोना वायरस से ज्यादा लोग संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन उनके अनुपात में मरने वालों की संख्या कम है। हालांकि, अगर संख्या के हिसाब से देखें तो संक्रमण बढ़ने पर दैनिक मृतकों की संख्या भी बढ़ेगी, भले ही सीएफआर कम ही क्यों न रहे।

सीमित क्षेत्रों तक दूसरी लहर का प्रभाव

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अगस्त से सितंबर के दौरान कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान 75 फीसद से ज्यादा मामलों 60-100 जिलों में थे। वहीं, दूसरी लहर में ऐसे जिलों की संख्या 20 से 40 है। साफ है कि दूसरी लहर सीमित क्षेत्रों में ही बहुत तेजी से फैल रही है।

दूसरी लहर में बिना लक्षण वाले ज्यादा मरीज

लैंसेट के मुताबिक महामारी की दूसरी लहर पहली से इस मायने में भी अलग है, क्योंकि इसमें बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। मृत्युदर में कमी की एक बड़ी वजह यह भी है। बिना लक्षण वाले मामलों के अधिक मिलने का कारण बेहतर ट्रेसिंग भी है। किसी व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने पर उसके स्वजन के साथ ही दूसरे निकट संबंधियों की भी जांच तेजी से की जा रही है, इसलिए संक्रमण गंभीर रूप नहीं ले पा रहा है।

शिक्षकों के टीकाकरण को प्राथमिकता देने की सलाह

लैंसेट टास्क फोर्स ने शिक्षकों और स्कूल के अन्य स्टाफ का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण की सलाह दी है, ताकि जुलाई से स्कूल खोले जा सकें। टास्क फोर्स ने कहा है कि ज्यादा संक्रमण वाले राज्यों में तत्काल स्कूलों को खोलना संभव नहीं है। इसलिए अगले दो महीने में शिक्षकों और स्कूल स्टाफ को प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाए जाने चाहिए, जिससे कि जुलाई में सुरक्षित तरीके से स्कूल खोले जा सकें।

हवा के जरिए फैलता है वायरस

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड का रोगाणु हवा के जरिए फैलता है। इसलिए इससे बचने के लिए मास्क के साथ ही पूरे चेहरे को बचाना जरूरी है। वायरस नामक और मुंह के साथ ही आंखों के जरिये भी शरीर में प्रवेश कर सकता है, इसलिए इन्हें ढकना आवश्यक है। बंद स्थान की जगह हवादार जगह में रहना ज्यादा सुरक्षित है।

टीकाकरण के बाद संक्रमण का खतरा ज्यादा

लैंसेट टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टीकाकरण के तुरंत बाद संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। इसका मुख्य कारण कम प्रतिरक्षा या संक्रमण से बचाव के नियमों के पालन में लापरवाही हो सकता है। टास्क फोर्स ने लोगों को जागरूक करने की सलाह दी है कि टीका लगवाने के बाद भी वो संक्रमण से बचाव में किसी तरह की ढिलाई नहीं करें।

राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर पूर्ण लॉकडाउन की जरूरत नहीं

टास्क फोर्स ने देश में या किसी राज्य में पूर्ण लॉकडाउन की सिफारिश नहीं की है। इसके बदले में चरणबद्ध तरीके से स्थानीय स्तर पर सख्त प्रतिबंध या बंद रखने की सलाह दी है। टास्क फोर्स का कहना है कि लॉकडाउन से शहरी क्षेत्रों में दैनिक मजदूरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर उपाय किए जाने चाहिए। इसके लिए बड़े आयोजन स्थलों को बंद करने के साथ ही ज्यादा भीड़ वाले कार्यक्रमों को भी हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

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