सेना प्रमुखों के सम्मेलन में आर्मी में हो रहे तेज बदलाव और हथियारों में आत्मनिर्भरता पर होगी चर्चा
भारतीय सेना प्रमुखों के आठवें सम्मेलन में नई सुरक्षा चुनौतियों के बीच सैन्य आधुनिकीकरण और सेना में तेजी से हो रहे बदलावों पर खास चर्चा की जाएगी। देश की रक्षा जरूरतों और हथियारों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर भी बातचीत होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय सेना प्रमुखों के आठवें सम्मेलन में नई सुरक्षा चुनौतियों के बीच सैन्य आधुनिकीकरण और सेना में तेजी से हो रहे बदलावों पर खास चर्चा की जाएगी। देश की रक्षा जरूरतों और हथियारों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर भी बातचीत होगी। इस सम्मेलन में नेपाल के पूर्व सेना प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है।
पूर्व सेनाध्यक्षों के साथ नेपाली सेना के पूर्व सेना प्रमुख 16 से शुरू हो रहे सम्मेलन में करेंगे शिरकत
भारतीय सेना प्रमुखों का यह सम्मेलन 16 से 18 सितंबर तक दिल्ली में होगा। इसमें मौजूदा सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के साथ ही देश के सभी जीवित पूर्व थल सेना प्रमुख शामिल होंगे। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में मुख्य आकर्षण नेपाली सेना के कई पूर्व प्रमुखों की मौजूदगी होगी। गौरतलब है कि नेपाली सेना के प्रमुख भारतीय सेना के मानद प्रमुख भी रहे हैं। सेना प्रमुखों का यह सम्मेलन पूर्व सेनाध्यक्षों और भारतीय सेना के वर्तमान नेतृत्व के बीच विचारों के आदान-प्रदान का एक मंच है।
मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में आधुनिक युद्ध लड़ने जैसे विषयों पर होगी मंत्रणा
इसके आठवें संस्करण में भारतीय सेना में तेजी से हो रहे परिवर्तन, रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के माध्यम से रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने जैसे विषयों पर फोकस रहेगा। इसके साथ ही मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में आधुनिक युद्ध लड़ने के लिए भारतीय सैनिकों के कौशल का निखार जैसे विषयों पर भी गहन मंत्रणा होगी। सेना के अनुसार सम्मेलन की शुरूआत से पहले सभी पूर्व सेना प्रमुख शहीद हुए सैनिकों को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि देंगे।
सम्मेलन के दूसरे दिन पूर्व सेना प्रमुख भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सेना के विभिन्न प्रशासनिक और मानव संसाधन पहलुओं पर संवाद करेंगे। सेना प्रमुख, सोसाइटी आफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के सदस्यों के साथ भी बातचीत करेंगे जहां उन्हें भारतीय सेना और स्वदेशी निजी रक्षा निर्माताओं के बीच संस्थागत सहजीवन से अवगत कराया जाएगा।