सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सेवानिवृत्ति में आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डाॅक्टरों में भेदभाव नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि इलाज प्रणाली के आधार पर एलोपैथी और आयुर्वेदिक डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति में भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इलाज का तरीका इसका आधार नहीं हो सकता।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 11:18 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 11:18 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सेवानिवृत्ति में आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डाॅक्टरों में भेदभाव नहीं
अदालत ने आयुर्वेदिक डाॅक्टरों को बकाया वेतन और अन्य लाभ भुगतान करने का दिया आदेश

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि इलाज प्रणाली के आधार पर एलोपैथी और आयुर्वेदिक डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति में भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इलाज का तरीका इसका आधार नहीं हो सकता। ऐसा करना भेदभाव और संविधान में मिले बराबरी के अधिकार का उल्लंघन है।

आयुर्वेदिक डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़कर 65 वर्ष 31 मई, 2016 से लागू मानी जाएगी

कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के आयुर्वेदिक डाॅक्टरों के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति आयु भी 60 से बढ़कर 65 वर्ष 31 मई, 2016 से ही लागू मानी जाएगी, जिस तारीख पर यह सेंट्रल हेल्थ स्कीम के जनरल ड्यूटी मेडिकल आफिसर (एलोपैथी डाॅक्टर) के लिए लागू हुई।

कोर्ट ने आयुर्वेदिक डाॅक्टरों का बकाया वेतन और अन्य लाभ आठ सप्ताह के भीतर देने का दिया आदेश 

कोर्ट ने कहा कि आयुर्वेदिक डाॅक्टरों को उनके साथी सेंटर हेल्थ स्कीम के डाॅक्टरों की तरह वेतन और अन्य लाभ न दिया जाना उनके साथ भेदभाव है। कोर्ट ने बढ़ी सेवानिवृत्ति आयु के मुताबिक आयुर्वेदिक डाॅक्टरों का बकाया वेतन और अन्य लाभ आठ सप्ताह के भीतर देने का आदेश दिया है। तय अवधि से देर में भुगतान किया गया तो छह फीसद की दर से ब्याज भी देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कैट और दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया

दिल्ली नगर निगम के आयुर्वेदिक डाॅक्टरों के बारे में यह फैसला जस्टिस एल नागेश्वर राव व ऋषिकेश राय की पीठ ने सुनाया है। इस मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। नगर निगम ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल (कैट) और दिल्ली हाई कोर्ट के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम की अपीलें खारिज करते हुए कैट और दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। इसमें कहा गया था कि आयुष के तहत आने वाले आयुर्वेदिक डाक्टर भी एलोपैथिक डाक्टरों की तरह ही सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 65 करने का लाभ पाने के अधिकारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने में सिर्फ इलाज के तरीके के आधार पर वर्गीकरण करना ठीक नहीं है। दोनों डाक्टर लोगों का इलाज कर रहे हैं।

हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश से आयुर्वेदिक डाॅक्टर 60 वर्ष के बाद भी नौकरी कर रहे थे

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश से आयुर्वेदिक डाॅक्टर 60 वर्ष के बाद भी नौकरी कर रहे थे, लेकिन उन्हें वेतन नहीं दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में निगम की ओर से दलील दी गई थी कि आयुर्वेदिक डाॅक्टर इस दौरान का वेतन पाने के अधिकारी नहीं हैं। सरकार पर बोझ भी पड़ेगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एलोपैथी डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ा कर 65 साल की थी

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 31 मई, 2016 को तत्काल प्रभाव से सेंट्रल हेल्थ स्कीम और जनरल ड्यूटी मेडिकल आफिसर की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ा कर 65 साल कर दी। अधिसूचना भी जारी हो गई। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भारत सरकार के आदेश को लागू करते हुए निगम के एलोपैथी डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 60 से 65 साल करने का आदेश जारी कर दिया। आयुर्वेदिक डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु नहीं बढ़ी थी। इसलिए उन्होंने कैट में याचिका दाखिल कर भेदभाव की दलीलें देते हुए उनकी भी सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 60 से 65 वर्ष करने की मांग की।

कैट ने कहा- आयुर्वेदिक डाॅक्टरों के साथ भेदभाव

कैट ने 24 अगस्त, 2017 को बहुत सारे मामलों में एक साथ फैसला देते हुए माना कि यह आयुर्वेदिक डाॅक्टरों के साथ भेदभाव है। कैट ने कहा कि आयुर्वेदिक डाक्टर समान सेवा शर्तो और बढ़ी हुई 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु का लाभ पाने के हकदार हैं। नगर निगम ने कैट के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। दिल्ली हाई कोर्ट में जब अपील लंबित थी, इसी दौरान भारत सरकार के आयुष ने 24 नवंबर, 2017 को आदेश जारी किया और आयुष डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी। केंद्र ने यह आदेश 27 सिंतबर, 2017 से लागू किया, जिस दिन केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

हाई कोर्ट ने कैट के आदेश को सही ठहराया

हाई कोर्ट ने 15 नवंबर, 2018 को फैसला दिया और कैट के आदेश को सही ठहराया। दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश में आयुर्वेदिक डाॅक्टरों को 60 साल के बाद भी नौकरी में जारी रहने का आदेश दिया था। हालांकि कहा था कि उन्हें वेतन नहीं मिलेगा। निगम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई थी कि सेंट्रल हेल्थ स्कीम के डाॅक्टरों और आयुष डाॅक्टरों के बीच वर्गीकरण तर्कसंगत और न्याय संगत है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये दलीलें खारिज कर दीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयुष डाॅक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने वाला 24 नवंबर, 2017 का सरकार का आदेश भी पूर्व तिथि 31 मई, 2016 से लागू होगा।

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