बादल फटना स्थानीय घटना, इसकी भविष्यवाणी मुश्किल, ऐसी घटनाएं पहाड़ी इलाकों में होती हैं: आइएमडी

हिमाचल प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हाल के दिनों में बादल फटने की कई घटनाएं सामने आई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बादल फटना एक स्थानीय घटना है जो ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में होती है जिसके बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 01:47 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 01:47 AM (IST)
बादल फटना स्थानीय घटना, इसकी भविष्यवाणी मुश्किल, ऐसी घटनाएं पहाड़ी इलाकों में होती हैं: आइएमडी
बादल फटने की घटनाएं हिमालयी या पश्चिमी घाट के पहाड़ी इलाकों में होती हैं

नई दिल्ली, प्रेट्र। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हाल के दिनों में बादल फटने की कई घटनाएं सामने आई हैं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में तो अमरनाथ गुफा के पास बुधवार को ही बादल फटने की घटना हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि बादल फटना एक स्थानीय घटना है जो ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में होती है, जिसके बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल है।

अमरनाथ गुफा के पास फटा बादल

अगर किसी एक जगह पर एक घंटे के भीतर 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश होती है तो इसे बादल फटने की घटना के रूप में लिया जाता है। आसमान से अचानक भारी मात्रा में पानी गिरने से जान-माल का भारी नुकसान होता है। बुधवार को भी अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से स्थानीय नदी में अचानक जल स्तर बढ़ गया।

आइएमडी ने कहा- बादल फटने की घटनाएं हिमालयी या पश्चिमी घाट के पहाड़ी इलाकों में होती हैं

भारतीय मौसमविज्ञान विभाग (आइएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि बादल का फटना एक बहुत ही छोटे स्तर की घटना और ज्यादातर हिमालयी या पश्चिमी किनारों के पहाड़ी इलाकों में होती हैं।

गर्म मानसूनी हवाओं का ठंडी हवाओं के साथ परस्पर क्रिया से विशाल बादलों का होता है निर्माण

उन्होंने कहा कि जब गर्म मानसूनी हवाएं ठंडी हवाओं के साथ परस्पर क्रिया करती हैं तो इससे विशाल बादलों का निर्माण होता है, जो भौगोलिक कारकों के कारण भी होता है।

13-14 किलोमीटर तक ऊंचे होते हैं तूफानी बादल

मौसम के बारे में जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलावट ने कहा कि इस प्रकार के बादलों को तूफानी बादल कहा जाता है जिनकी ऊंचाई 13-14 किलोमीटर तक होती है। अगर ये बादल किसी एक क्षेत्र विशेष में फंस जाते हैं या उन्हें तितर-वितर करने के लिए हवा नहीं बहती है तो ऐसे बादलों में जमा पानी अचानक नीचे गिरता है।

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