DATA STORY: दुनिया में 7.56 करोड़ और भारत में 47 लाख घरेलू कामगार, कोरोना में दूसरी नौकरियों से ज्यादा बिगड़े हालात

आईएलओ के डायरेक्टर जनरल गाए राइडर ने कहा दुनिया में कुल 7.56 करोड़ घरेलू कामगार हैं। यह दुनिया के कुल रोजगार का 4.5 फीसद है। कोरोना में इन्हें काफी गहरी चोट पहुंचाई है। कोरोना ने साबित कर दिया है कि घरेलू काम को औपचारिक रूप देने की तत्काल आवश्यकता है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 08:24 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 08:26 AM (IST)
DATA STORY: दुनिया में 7.56 करोड़ और भारत में 47 लाख घरेलू कामगार, कोरोना में दूसरी नौकरियों से ज्यादा बिगड़े हालात
यूरोप में 5-20 फीसद घरेलू कामगारों ने नौकरी गंवाई। कनाडा और दक्षिण अफ्रीका में भी कोमोबेश यही हालात हैं।

नई दिल्ली, विनीत शरण। 10 साल पहले अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने ऐतिहासिक सम्मेलन में घरेलू कामगारों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की थी लेकिन तब से आज तक ज्यादातर घरेलू कामगारों के लिए हालात नहीं ज्यादा नहीं बदले हैं। वहीं कोरोना महामारी ने उनकी स्थिति और खराब कर दी है। आईएलओ की नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक जब महामारी चरम पर थी तब यूरोप में 5 से 20 फीसद घरेलू कामगारों या सहायकों ने नौकरी गंवाई। कनाडा और दक्षिण अफ्रीका में भी कोमोबेश यही हालात हैं लेकिन अमेरिका में यह आंकड़ा कहीं ज्यादा (25 से 50 फीसद) है। वहीं दूसरी नौकरी में जॉब जाने का प्रतिशत 15 फीसद रहा।

आईएलओ के डायरेक्टर जनरल गाए राइडर ने कहा, दुनिया में कुल 7.56 करोड़ घरेलू कामगार हैं। यह दुनिया के कुल रोजगार का 4.5 फीसद है। कोरोना में इन्हें काफी गहरी चोट पहुंचाई है। कोरोना संकट ने साबित कर दिया है कि घरेलू काम को औपचारिक रूप देने की तत्काल आवश्यकता है। ताकि उन्हें श्रम और सामाजिक सुरक्षा कानूनों के अंतर्गत सुरक्षा मिल सके।

6 करोड़ से ज्यादा घरेलू कामगार प्रभावित

रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID-19 महामारी ने काम करने की स्थिति को बिगाड़ दिया है जो पहले से ही बहुत खराब थी। श्रम और सामाजिक सुरक्षा में कमियों के कारण घरेलू कामगार इस महामारी के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील थे। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में मारामारी ने 6 करोड़ से ज्यादा घरेलू कामगारों को प्रभावित किया है।

दुनिया में 36 फीसद कामगर अब भी पूरी तरह श्रम कानून के दायरे से बाहर हैं। खासकर एशिया, पैसिफिक और अरब देशों में स्थिति ज्यादा विकट है। वहीं जिन देशों में घरेलू कामगारों के लिए श्रम और सामाजिक कानूनों की सुरक्षा है वहां भी इसे लागू करने को लेकर चुनौतियां हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 18.8 फीसद घरेलू कामगारों को रोजगार संबंधी सामाजिक सुरक्षा कवरेज मिलता है।

भारत में 47 लाख घरेलू कामगार

भारत में कुल घरेलू कामगार 4764 018 हैं, इसमें महिलाएं 2870 801 और पुरुष 1 893 217 हैं। यह कुल नौकरियों का 1.3 फीसद है। 8.7 फीसद घरेलू कामगर नियोक्ता के घर में रहते हैं। जेंडर के आधार पर देखें तो 4.6 फीसद महिलाएं और 14.2 फीसद पुरुष नियोक्ता के घर में रहते हैं।

भारत में 85 फीसद घरेलू कामगार महिलाएं घर की साफ-सफाई जैसे काम में लगी हैं। जबकि 1.7 फीसद महिला घरेलू कामगर कुक या सिक्योरिटी गार्ड जैसे कामों में लगी हैं। 5.1 महिलाएं डायरेक्ट केयर (निजी सहायक के रूप) में हैं। पुरुषों की बात करें तो 23.2 फीसद पुरुष घरेलू कामगर ड्राइवर हैं। जबकि 28.3 फीसद घरेलू सहायक, 7.4 फीसद कुक या सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं। 2.2 फीसद पुरुष घरेलू कामगर निजी सहायक का काम करते हैं।

घरेलू कामगारों में महिलाएं ज्यादा

दुनिया भर में घरेलू कामगारों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। 76.2 फीसद यानी करीब 5.77 करोड़ महिलाएं इससे जुड़ी हैं। पर यूरोप, सेंट्रल एशिया और अमेरिका में जहां घरेलू कामगार महिलाएं ज्यादा हैं वहीं अरब (63.4 फीसद पुरुष) और उत्तरी अफ्रीका (50 फीसद पुरुष) में पुरुष कामगर ज्यादा हैं। वहीं दक्षिण एशिया में भी पुरुष कामगर 42.6 फीसद हैं। वहीं सबसे ज्यादा 3.83 करोड़ घरेलू कामगार एशिया, पैसिफिक (खासकर चीन) में हैं। वहीं अमेरिका में इनकी संख्या 1.76 करोड़। 

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