भाईचारे की मिसाल: ताजिया निकालने से पहले किया भगवान जगन्नाथ के दर्शन

समुदाय के लोग ताजिया निकालने से पहले भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। उसके बाद शहर की चारों मस्जिदों में नमाज पढ़ी गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 03:09 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 03:12 PM (IST)
भाईचारे की मिसाल: ताजिया निकालने से पहले किया भगवान जगन्नाथ के दर्शन
भाईचारे की मिसाल: ताजिया निकालने से पहले किया भगवान जगन्नाथ के दर्शन

जागरण संवाददाता, नाहन (सिरमौर)। शुक्रवार को वामन द्वादशी और मुहर्रम एक ही दिन थे। पैंतीस साल बाद ऐसा मौका आया। हिमाचल के सिरमौर जिला के नाहन शहर में मुस्लिम समुदाय ने इस 'संगम' को खास बना दिया। समुदाय के लोग ताजिया निकालने से पहले भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। उसके बाद शहर की चारों मस्जिदों में नमाज पढ़ी गई।

शाम को नाहन में भगवान वामन की शोभायात्रा में शामिल पालकियां पक्का तालाब में पहुंचीं। उसी दौरान मुस्लिम समुदाय द्वारा ताजिया का जुलूस निकाला गया। दोनों समुदायों ने पहले ही रास्ते तय कर दिए थे कि कौन कहां से गुजरेगा। इस मौके पर लियाकत अली, जावेद, शाहिद, समीर इब्रोज, आरिफ मुबारिक व जगन्नाथ रथयात्रा कमेटी के प्रधान प्रकाश बंसल समेत अन्य मौजूद रहे।

जगन्नाथ रथयात्रा का करते हैं स्वागत

मुस्लिम समुदाय हर साल भगवान जगन्नाथ की पालकी का स्वागत करता है। इस साल जुलाई माह में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई थी। तब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिदों के बाहर रथयात्रा का स्वागत किया था। यात्रा में शामिल लोगों को चायपान भी करवाया था।

सदियों पुराना है यह भाईचारा

नाहन में हिंदू-मुस्लिमों का सौहार्द सदियों से चलता आ रहा है। देश के विभाजन के दौरान भी यहां कोई मनमुटाव नहीं हुआ था। चारों मस्जिदों की ताजिया कमेटियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि मुहर्रम व वामन द्वादशी आपसी भाईचारे का प्रतीक है।

त्योहारों पर मंदिर आते हैं मुस्लिम

जगन्नाथ रथयात्रा कमेटी के प्रधान प्रकाश बंसल ने कहा कि यह भाईचारा सदियों से चला आ रहा है। दूसरे त्योहारों पर भी मुस्लिम समुदाय के लोग मंदिर आते हैं। जब भी वे लोग मंदिर आते हैं तो हम उनका स्वागत करते हैं।  

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